All year long talent should get opportunity to participate in more competitions: ल भर चमकी प्रतिभाओं को मिलना चाहिए ज़्यादा प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर

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इस साल कोविड की वजह से ज़्यादातर खेल स्पर्धाएं आयोजित नहीं की जा सकीं लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि भारतीय हॉकी टीम ने इस साल नीदरलैंड को तीन गोल के अंतर से शिकस्त दी। अगर भारतीय टीम बेल्जियम से हारी तो उसे उसने हराया भी। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया जैसी धाकड़ टीम को बराबरी पर रोकने का भी उसने कमाल किया। इसके अलावा भी इस साल कई उत्साहवर्धक चीज़ें भारतीय खेलों में देखने को मिलीं।

 मेरा शुरू से मानना रहा है कि फॉरवर्ड लाइन को मौके चूकने से और डिफेंस को शिथिलता से बचना चाहिए। इस टीम ने ये दोनों बातें पूरी कर दीं लेकिन यह सब मार्च से पहले हुआ। मज़ा तो तब है जब उसी फॉर्म को भारतीय खिलाड़ी आज भी बरकरार रखेंगे। इसके लिए टीम प्रबंधन और कोच की बड़ी ज़िम्मेदारी है। इसके लिए ज़रूरी है कि टीम को लगातार बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिले जो उसके अगले साल ओलिम्पिक की तैयारी में काम आ सके।

हॉकी के अलावा अन्य खेलों में मेरी नज़र खास तौर पर बैडमिंटन, कुश्ती, बॉक्सिंग और शूटिंग की तरफ रहती है क्योंकि इन खेलों में भारत के बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीतने की अच्छी सम्भावनाएं हैं। बॉक्सिंग से शुरुआत करते हैं। जर्मनी के शहर कोलोन में आयोजित वर्ल्ड कप में एशियाई खेलों के चैम्पियन और वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के सिल्वर मेडलिस्ट अमित पंघाल ने गोल्ड जीतकर अपनी अच्छी तैयारी का परिचय दिया। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीत चुकीं सिमरनजीत कौर और एशियाई चैम्पियनशिप की मेडलिस्ट मनीषा माउन ने इस बार गोल्ड जीतकर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए। मुझे खुशी है कि मेरीकॉम और विकास कृष्ण सहित नौ भारतीय मुक्केबाज़ों ने इस बार टोक्यो ओलिम्पिक के लिए क्वॉलीफाई किया है।

कुश्ती में बजरंग पूनिया और विनेश फोगट मेरे फेवरेट पहलवान हैं। दोनों ने न सिर्फ ओलिम्पिक के लिए क्वॉलीफाई किया है बल्कि इस साल रोम रैंकिंग टूर्नामेंट में भी गोल्ड जीता। ओलिम्पिक के लिए क्वॉलीफाई कर चुके रवि कुमार सहित सुनील कुमार, पिंकी, सरिता और दिव्या काकरान ने एशियाई चैम्पियनशिप में गोल्ड जीते जबकि अंशू ने पिछले दिनों व्यक्तिगत वर्ल्ड कप में गोल्ड अपने नाम किए।

बैडमिंटन में भारतीय पुरुष टीम ने इस, साल एशिया कप चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने का कमाल किया। किदाम्बी श्रीकांत ने डेनमार्क ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक अपनी चुनौती रखी। मुझे श्रीकांत के अलावा पीवी सिंधू से काफी उम्मीदें हैं। टेनिस में सानिया मिर्ज़ा और नादिया किचेनोक की जोड़ी ने होबार्ट इंटरनैशनल टूर्नामेंट में डबल्स का खिताब अपने नाम किया। एथलेटिक्स में अरविंद सावंत ने एयरटेल हाफ मैराथन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा पिछले साल वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भी उन्होंने यही कमाल किया था। फुटबॉल में आईएसएल में मुम्बई सिटी और एटीके मोहन बागान की टीमों ने अब तक खेले गए मुक़ाबलों में काफी प्रभावित किया है। फीफा वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर में भारत ने इस साल दो मैच गंवाए जबकि उसके बाकी तीन मैच ड्रॉ रहे। मुझे भारतीय निशानेबाज़ों से भी काफी उम्मीदें हैं। इस बार 15 निशानेबाज़ों ने ओलिम्पिक कोटा हासिल किए हैं।आखिर में मैं यही कहूंगा कि इस प्रदर्शन का मतलब तभी है जब इसे आगे भी बरकरार रखा जाए। यह तभी सम्भव है जब हमारे खिलाड़ियों को लगातार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिलेगा।

अशोक धयानचंद

(लेखक 1975 का वर्ल्ड कप हॉकी खिताब जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य हैं। इन्होंने फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक भी किया)