गन्नौर से देवेंद्र कादियान, बहादुरगढ़ से राजेश जून व हिसार से सावित्री जिंदल ने दिल्ली पहुंचकर किया भाजपा का समर्थन
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: गत दिवस आए हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से हरियाणा में भाजपा अपने बलबूते पर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। सभी एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। वहीं सरकार बनाने का सपना संजोए बैठी कांग्रेस को मात्र 37 सीटों से संतोष करना पड़ा। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा ने अब सरकार बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। कहा जा रहा है नई सरकार का गठन दशहरें के बाद होगा। वहीं अपनी पार्टियों से बागी होकर निर्दलीय चुनाव जीते विधायकों ने भी सरकार के साथ ही रहने का फैसला लिया है।
हरियाणा में तीन निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार विधायक बने है। गन्नौर से देवेंद्र कादियान, बहादुरगढ़ से राजेश जून व हिसार से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल विधायक बनी है। तीनों निर्दलीय विधायकों देवेंद्र कादियान, राजेश जून व सावित्री जिंदल ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है। तीनों विधायकों ने दिल्ली में हरियाणा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, सहप्रभारी बिप्लब देब और प्रदेश अध्यक्ष मोहन बड़ौली से मुलाकात की। तीनों विधायकों ने भाजपा सरकार का समर्थन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों की राय जानने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।
देवेंद्र भाजपा तो राजेश कांग्रेस से बागी होकर लड़े थे चुनाव
देवेंद्र कादियान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी। फिर वह भाजपा में शामिल हो गए। देवेंद्र कादियान गन्नौर सीट से भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। देवेंद्र कादियान ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की। वहीं राजेश जून के चाचा राजेंद्र जून 2019 में बहादुरगढ़ से विधायक बने थे। पिछले चुनाव में राजेश जून ने अपने चाचा के पक्ष में नामाकंन पत्र वापस ले लिया था।
वह अबकी बार भी कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार कर उनके चाचा को फिर से टिकट दे दिया। जिससे नाराज होकर राजेश जून ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया और वह विजयी हुए। वहीं हिसार से भाजपा सांसद की मां सावित्री जिंदल भी भाजपा की टिकट की दावेदार थी लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट न देकर दो बार के विधायक डॉ. कमल गुप्ता पर ही भरोसा जताया। टिकट न मिलने पर सावित्री जिंदल ने आजाद चुनाव लड़ा और जीता।
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