Punjab Assembly Bypoll : प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों में जुटी सभी पार्टियां

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Punjab Assembly Bypoll : प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों में जुटी सभी पार्टियां
Punjab Assembly Bypoll : प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों में जुटी सभी पार्टियां

सभी के लिए साख का सवाल है उपचुनाव में जीत दर्ज करना

Punjab Assembly Bypoll (आज समाज), चंडीगढ़। मौजूदा समय में प्रदेश में पंचायत चुनाव का पूरा शोर है। हर कोई लोकतंत्र की इस सबसे छोटी और मजबूत इकाई पर फोकस जमाए हुए है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के सभी प्रमुख दल राज्य में चार सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में अंदरखाते जुटे हुए हैं।

कोई भी दल इन उपचुनाव को हलके में नहीं लेना चाहता। कारण स्पष्ट है कि प्रदेश की राजनीति में जहां कांग्रेस, शिअद वापसी का रास्ता तलाश रहे हैं तो वहीं भाजपा अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। वहीं सत्ताधारी पार्टी आप को पूर्ण बहुमत प्राप्त है लेकिन वह चारों सीट पर विजय हासिल करके विपक्ष को और भी ज्यादा कमजोर करने की सोच रही होगी।

पंचायत चुनाव का पड़ेगा प्रभाव

प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में पंचायत चुनाव का असर जरूर देखने को मिलेगा। इस बार प्रदेश में पंचायत चुनाव किसी भी पार्टी के चुनाव निशान पर नहीं लड़े जा रहे। इससे स्पष्ट है कि पंचायत गठित होने के बाद वो जिस दल को चाहेगी अपना समर्थन दे देगी। ज्ञात रहे कि इसमें बरनाला, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल और डेराबाबा नानक में विधानसभा उपचुनाव होने हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में जिस पार्टी को ज्यादा पंचायतें समर्थन देंगी वही पार्टी मजबूत होगी।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में किया बेहतरीन प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 6 सीट पर जीत की। जबकि सत्ताधारी आप केवल चार सीट ही जीत पाई। दो सीट निर्दलीय सांसदों ने जीती व एक सीट पर शिअद का कब्जा हुआ। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के बाद जालंधर वेस्ट पर हुए विधानसभा उप चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस व भाजपा को फिर से हाशिये पर धकेल दिया। अब एक बार फिर से प्रदेश में होने वाले चार विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा अपनी स्थिति सुधारने की कोशिश करेंगी।

शिअद लड़ रहा वजूद की लड़ाई

प्रदेश का सबसे पुराना क्षेत्रीय दल शिरोमणि अकाली दल इस समय अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। पार्टी आपसी टकराव के दौर से गुजर चुकी है और लगातार उसके नेता और वोट बैंक टूट रहा है। जिसके चलते आने वाले पंचायती व विधानसभा चुनाव में उसे एक बार फिर से खुद को साबित करने का मौका मिलेगा।

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