पेशा लिया ‘सिंघम’ का और नाम और पद लिया ‘पुलिसगिरी’ के संजय दत्त का Ajay Devgn OTT Debut

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Ajay Devgn OTT Debut
Ajay Devgn OTT Debut

Ajay Devgn OTT Debut

आज समाज डिजिटल, मुंबई :
Ajay Devgn OTT Debut : अजय देवगन के ओटीटी लॉन्च का सबको इंतजार था, पेशा लिया ‘सिंघम’ का और नाम और पद लिया ‘पुलिसगिरी’ के संजय दत्त का यानी डीसीपी रुद्रा का, साथ में आइडिया लिया ब्रिटिश साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर ‘लूथर’ से।

अब चूंकि एक एक एपिसोड को भारतीय माहौल में बनाया गया है, सो काफी दिलचस्प और थ्रिलिंग होने के बावजूद अगर दर्शक कभी कभी कन्फ्यूज होते हैं, तो वजह यही है कि पूरी तरह वहां और यहां का माहौल एक जैसा नहीं है। हालांकि सिंघम की तरह अजय पुलिस ऑफिसर जरूर बने हैं, लेकिन इस मूवी में वो डायलॉगबाजी और एक्शन के बजाय इन्वेस्टीगेशन करते हैं, दिमाग चलाते हैं, ऐसे में ये तय मानिए कि अजय देवगन के फैन्स को ये सीरीज काफी पसंद आने वाली है क्योंकि सबकुछ उनके इर्दगिर्द ही घूमता है या फिर उनके विलेन्स के।

क्या है कहानी

बाकी सीरीज की तरह ‘रुद्रा द एज ऑफ डार्कनेस’ में एक ही कहानी नहीं है, बल्कि कई कहानियां है, कई क्राइम केस हैं और कई विलेन हैं, लेकिन सबके सब साइको। कोई पुलिस वालों को मारता है, कोई बच्चों को किडनेप करता है, कोई महिलाओं का खून निकालकर पीता है , लेकिन कुछ चीजें हैं जो लगातार सीरीज को जोड़े रखती हैं, पुलिस टीम, डीसीपी रुद्रा (अजय देवगन) की पत्नी शैला (ईशा देयोल) और उसका लिव इन पार्टनर, साथ ही इस सीरीज की पहली किलर आलिया चौकसी (राशि खन्ना) भी।

पुलिस से नहीं डरने वाले विलेन

देखा जाए तो इस सीरीज की एक एक स्टोरी ऐसी है कि आपको सीरीज एक बार में देखे बिना उठने नहीं देगी, एक से एक साइको किलर, एक से एक थ्रिलिंग सींस, जो अच्छी से अच्छी थ्रिलर मूवीज को मात दे दें और सबसे दिलचस्प बात कि इनमें से कोई भी विलेन पुलिस से डरता नहीं है और ना ही बाकी सीरीज की तरह क्लाइमेक्स तक खुद को बचाए फिरता है। बल्कि वो शुरू से ही बोल देता है कि हां मैने मारा है, बोलो क्या कर लोगे?

यानी सस्पेंस इस बात का रहता है कि कुबूलने के बाद पुलिस उसके खिलाफ कैसे सुबूत जुटाकर उसे सलाखों के पीछे भेजेगी। खुलकर विलेन पुलिस वालों को सड़कों पर भूनता है, बम से उड़ाता है, उन्हें जेल तक भिजवा देता है, फिर भी पुलिस कुछ नहीं कर पाती।

लंदन स्टाइल में सॉल्व होते केस

ये सब ब्रिटेन में होता होगा, यहां तो यूपी की पुलिस है, जो पुलिस वालों को मारता है, उसको एनकाउंटर में मार दिया जाता है, गिरफ्तारी के बावजूद।

सो आम दर्शकों को हर विलेन की ऐसी खुली चुनौती अमिताभ की ‘शहंशाह’ और ‘जंजीर’ जैसे दौर में ले जाती है, जहां विलेन काफी ताकतवर सफेदपोश होता था, लेकिन इस बार विलेन की कोई बड़ी सामाजिक औकात नहीं है, वो जीनियस है, और पुलिस कानून के तले बंधी है, ऐसे में एक जीनियस पुलिस ऑफिसर ही उन्हें पकड़ सकता है, जो मुंबई में आसान ना लगने के बावजूद उसे लंदन स्टाइल में अंजाम दिया जाता है।

राशि खन्ना का किरदार दमदार

अजय देवगन के अलावा एक और किरदार है, जो इस सीरीज में आपको पसंद आने लगता है, आप उसके साथ धीरे धीरे जुड़ने लगते हैं। है तो वो भी साइको, लेकिन डीसीपी रुद्रा से उसकी एकतरफा मोहब्बत और उसका जीनियस दिमाग आपको लगातार उससे जोड़े रखता है।

नाम है आलिया चौकसी (राशि खन्ना), जो इस सीरीज के पहले एपिसोड की विलेन है. माता पिता की हत्या के बाद वो अपनी गन, पिल्ले को मारकर उसके शरीर में छुपा देती है, जिसका पोस्टमार्टम होता नहीं, रुद्रा उसे क्यों माफ कर देता है, पता नहीं चलता। बाद में वो रुद्रा की पत्नी के प्रेमी को परेशान करती है, रुद्रा की मदद के लिए वो एक हत्या तक कर देती है।

हजम ना होने वाले कई सीन

सो ये स्टाइल इस सीरीज की ताकत भी है और थोड़ा थोड़ा कन्फ्यूजन पैदा करने वाली कमजोरी भी। क्योंकि दर्शक भी तो जीनियस हैं, वो इन्वेस्टीगेशन पर ही सवाल उठा सकते हैं, जैसे आलिया चौकसी का बचना, मां बाप के मर्डर के समय कहां थी और सुपर स्टोर कब पहुंची, ये टाइम गैप काफी कुछ कहता है, कोई सीसीटीवी फुटेज का भी डिसकशन नहीं होता, जबकि उसकी पॉश सोसायटी में तमाम कैमरे लगे होंगे, सुपर मार्केट और उसके रास्ते में भी।

उसकी मोबाइल लोकेशन, गूगल मैप से भी उसकी मूवमेंट टाइमिंग पता चल सकता है। इसी तरह पुलिस वालों के हत्यारे के चलने के अंदाजे से उसे फौजी मानकर हत्यारे तक पहुंच जाना हैरान करता है।

किसी भी लाश के पास डीसीपी रुद्र आसपास की इमारतों की ऊपरी मंजिल की खिड़कियां नहीं देखता, लेकिन जब अटैक होता है, तो देखता है, उसे ही सबसे पहले फ्लैश लाइट दिखती है। वो पेंटर कैसे सारे पुलिस वालों की जानकारी रखता था, आखिर तक पता नहीं चलता। जेल में सालों से कैद फौजी को कैसे पता चलता है कि पुलिस उसकी कोठरी की तलाशी लेने अचानक पहुंचने वाली है। जवान को पकड़ने का आखिरी सीन भी काफी लाउड और सहज ना लगने वाला फिल्माया गया है, आसानी से हजम नहीं होता।

Ajay Devgn OTT Debut

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