अगली सुनवाई में एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहने के आदेश
Delhi Pollution News (आज समाज), नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में हवा की हालत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो रहा। यह अभी भी खुलकर सांस लेने के लिए सुरक्षित नहीं है। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सहित समूचे एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया। कोर्ट का मानना है कि पिछले कई दिन से प्रतिबंध के बावजूद प्रदूषण के स्तर में ज्यादा कमी नहीं आई है। इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि अब दिल्ली में प्रदूषण की वजह बाहरी राज्य नहीं बल्कि दिल्ली ही है। ऐसे में यदि ग्रैप4 के प्रतिबंध हटाए जाते हैं तो प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। जोकि दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होगा।
सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहने को कहा। साथ ही उनसे अनुरोध किया, वो बताएं कि प्रतिबंधों के कारण काम से वंचित निर्माण श्रमिकों को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं। पीठ ने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान समेत एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को 5 दिसंबर को दोपहर साढ़े 3 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 5 दिसंबर को ग्रेप-4 के प्रतिबंधों में संशोधन के पहलुओं पर सभी पक्षों की सुनवाई करेगा।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बार के सदस्य जो कोर्ट कमिश्नर हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिले। पीठ ने टिप्पणी की दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेप-4 का कोई प्रतिबंध ही शायद अमल में लाया जा रहा हो। पीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा तैनात अधिकारियों की संख्या पर भी सवाल उठाया, खासकर जो बॉर्डर इलाकों में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए हैं। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि दिल्ली ग्रेप प्रतिबंधों का पाल न करने के आरोपों की जांच करेगी।
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पहले जहां राजधानी में प्रदूषण को लेकर पड़ौसी राज्यों के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था वहीं अब डिसिजन स्पोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के मुताबिक दिल्ली में ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 21.408 फीसदी रही। जबकि, कूड़ा जलने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 2.112 फीसदी रही। इसके अलावा, सड़क की धूल से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 1.59 रही।
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