Air Pollution in North India : उत्तर भारत में बढ़ा वायु प्रदूषण, दिल्ली की हालत खस्ता

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Air Pollution in North India : उत्तर भारत में बढ़ा वायु प्रदूषण, दिल्ली की हालत खस्ता
Air Pollution in North India : उत्तर भारत में बढ़ा वायु प्रदूषण, दिल्ली की हालत खस्ता

पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने के चलते बिगड़ रहे हालात

Air Pollution in North India (आज समाज), नई दिल्ली : हर बार की तरह इस बार भी सर्दियां शुरू होने से पहले देश की राजधानी धूंए की चादर में लिपट रही है। धूंए की यह चादर लगातार गहरी होती जा रही है। जिससे एक तरफ जहां राजधानी में हवा में जहरीले कणों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि हो रही है वहीं बच्चों व बुजुर्गों के लिए यह आने वाले दिनों में आफत साबित हो सकती है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में धूंए भरी हवाएं दिल्ली पहुंचेंगी जिसके बाद यह और भी गहरा हो जाएगा। दिल्ली में आने वाले एक से डेढ़ माह तक ऐसी ही स्थिति बने रहने की उम्मीद है। दूसरी तरफ विशेषज्ञ इस बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार पड़ौसी राज्यों में धान के अवशेषों में आग लगाने को माना जा रहा है।

पंजाब और हरियाणा में किसान जला रहे अवशेष

एक रिपोर्ट के मुताबिक सेटलाइट से मिली पिक्चर्स से यह साफ हो गया है कि पिछले एक सप्ताह में हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा धान के अवशेषों में आग लगाने की रफ्तार काफी ज्यादा बढ़ गई है। जिसके चलते इससे उठने वाला धूआं अब राजधानी के वायुमंडल में प्रवेश करने लगा है। परिणाम यह निकल रहा है कि एक्यूआई लगातार बढ़ता जा रहा है।

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पंजाब सीएम ने केंद्र पर कसा तंज

पराली के बढ़ते मामलों के बीच पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और कोई भी राज्य इससे अपने स्तर पर नहीं निपट सकता। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार को प्रदेश सरकारों से सहयोग करना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार सहयोग न करके मात्र आरोप लगा रही है।

किसान बता रहे मजबूरी

एक तरफ जहां प्रदेश सरकारें किसानों को धान के अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए उनपर कठोर कार्रवाई के आदेश दे रही हैं वहीं किसान धान के अवशेषों को आग लगाना अपनी मजबूरी बता रहे हैं। किसानों का कहना है कि राज्य सरकारें धान अवशेषों के प्रबंधन के लिए जो उपकरण मुहैया करवा रही हैं वह केवल कुछ बड़े जमीदारों तक ही सीमित हैं। छोटे किसानों के पास कोई अवशेषों के प्रंधन का कोई ठोस तरीका न होने के चलते उन्हें आग लगाने को विवश होना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि गेहूं बिजाई का समय आ चुका है इसे देखते हुए उनके पास आग लगाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।

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