Deadly Air Pollution, (आज समाज), नई दिल्ली/लखनऊ: जहरीली हवा के कारण देश में मानव मौतों का सिलसिला जारी है। रिपोर्टों के अनुसार हर साल भारत में जहरीली हवा के कारण 21 लाख लोगों की मौत हो रही है। देश में बढ़ती लोगों की मौत के पांच बड़े कारणों में साइलेंट आपदा कहा जाने वाला वायु प्रदूषण (Air Pollution) दूसरे नंबर पर है। बढ़ती मौतों के कारणों के मामले में भारत में पहले नंबर हाई ब्लड प्रेशर (हृदय रोग) है। अन्य तीन कारणों में कैंसर, तंबाकू और डायबिटीज शामिल है।
कल्पना बालाकृष्णन ने मौतों पर गहरी चिंता जताई
चेन्नई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ काम कर रहीं देश की वरिष्ठ वैज्ञानिक कल्पना बालाकृष्णन ने वायु प्रदूषण की वजह से हो रही मौतों पर गहरी चिंता जताई है। वायु प्रदूषण पर डॉक्टर कल्पना बालाकृष्णन के शोध व रिपोर्टें लैंसेट और न्यू इंग्लैंड जर्नल सहित दुनिया की कई प्रतिष्ठित मैगजीन में प्रकाशित हो चुके हैं। इसी बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (IITR) में सम्मेलन आयोजित सम्मेलन किया गया जिसमें डॉक्टर कल्पना बालाकृष्णन भी मौजूद थीं।
लोगों की उम्र भी कम हो रही
भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) के कारण न केवल लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं, बल्कि इससे लोगों की उम्र भी कम हो रही है और उनकी काम करने की क्षमता पर भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, विभिन्न वैज्ञानिक शोध, आईक्यू-एयर और स्टेट आफ ग्लोबल एयर की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत में एयर पॉल्यूशन से संबंधित रोगों के कारण प्रति वर्ष 21 लाख लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं।
2-3 फीसदी तक कम होने लगी है उम्र
डॉक्टर कल्पना ने कहा, प्रदूषित हवा यानी जहरीली हवा के प्रभाव से लोगों की उम्र दो से तीन फीसदी तक कम होने लगी है। बुजुर्गों और बच्चों पर वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वैज्ञानिक कल्पना ने बताया कि विश्व के 10 सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित देशों में भारत तीसरे स्थान पर है। बढ़ती जहरीली हवा की वजह से ही मौसम में बदलाव और जलवायु परिवर्तन हो रहा है। वैश्विक तापमान बढ़ने का भी यही मुख्य कारण है। हर साल देश-दुनिया में गर्मी बढ़ रही है। यही नहीं बारिशें भी भारी हो रही हैं और ठंड भी बहुत ज्यादा पड़ रही है। बेमौसम बारिशें व ठंड आम हो गई है।
ग्रामीण इलाकों की हवा भी दूषित
डॉक्टर कल्पना ने शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की मुख्य वजह निरंतर बढ़ रहे वाहनों, उद्योगों, भट्ठियों, धुएं और धूल को बताया। उन्होंने यह भी कहा, यह भ्रम है कि ग्रामीण इलाकों की हवा पूरी तरह साफ है। आज भी बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण तबका लकड़ी वगैरह जलाकर खाना पकाता है और इस वजह से गांवों में भी हवा स्वच्छ नहीं रही है। डॉक्टर कल्पना ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना बेहतर साबित हुई है लेकिन ग्रामीणों के लकड़ी आदि जलाने के कारण वहां अब भी यह प्रदूषण घटाने की दिशा में नाकाफी है, इसलिए सरकार के साथ ही नीति निमार्ताओं को इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श करना होगा।
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