Aaj Samaj (आज समाज), Air Force Air Show, भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की मशहूर अपर लेक (बड़ा तालाब) के आसपास एयरफोर्स का सबसे बड़ा एयर शो आयोजित किया गया। शो में वायुसेना के लड़ाकू विमान तेजस, मिराज 2000, सूर्य किरण और चिनूक हेलीकॉप्टर समेत 65 लड़ाकू विमानों के हैरतअंगेज करतब देखकर दर्शक हतप्रभ रह गए। शो देखने के लिए बड़े तालाब यानी वोट क्लब के आसपास के इलाकों के अलावा भोपाल व पूरे प्रदेश व देशभर से लाखों लोग यहां पहुंचे थे। शनिवार सुबह 10 बजे से 11.30 बजे तक वायुसेना के सबसे सफल विमानों ने अपनी हवाई ताकत का प्रदर्शन किया।
- शो के लाखों लोग बने गवाह
पहली बार वाटर लेवल के ऊपर हुआ शो
बता दें कि पहली बार भोपाल में वाटर लेवल के ऊपर एयर शो हुआ और यह लगभग डेढ़ घंटे तक चला। वाटर लेवल के ऊपर से चिनूक हेलीकॉप्टर , फाइटर जेट, तेजस, सुखोई, सूर्य किरण आदि विमानों ने उड़ान भरते हुए जब अदभुत करतब दिखाया तो भोपालवासियों का उत्साह देखने लायक था। कैसे सेना के विमान तेजस और सुखोई ने आकाश त्रिशूल बना दिया, इस नजारे को हर कोई अपने कैमरे में कैद करता नजर आया।
…तो आसमान में केवल चमकदार धुआं दिखाई दिया
भव्य शो की रिहर्सल के लिए तेजस, सुखोई, मिराज-2000 ने ग्वालियर से तो ट्रांसपोर्टर विमान पृथ्वी, गजराज ने 500 किमी दूर आगरा एयरबेस से उड़ान भरते हुए अभ्यास किया। वहीं जब शो के दौरान दुश्मनों को पानी पिलाने वाले रूद्र , मिराज, सारंग ने भोपाल एयरपोर्ट से उड़ान भरी तो आसमान में केवल चमकदार धुआं ही दिखाई दिया। इस पल को भी लोग देखते रहे और उन्होंने भारत माता के जयकारे लगाए। एयर शो को यादगार बनाने के लिए भोपाल, आगरा और ग्वालियर एयरबेस पर 300 से अधिक अफसर और सेना के जवान मौजूद रहे।
शो में बिलकुल फ्री थी आम लोगों की एंट्री
एयर शो में आम लोगों की एंट्री बिलकुल फ्री थी, लेकिन इसके लिए पास दिए गए थे। इस शो में मुख्य अतिथि के दौर पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शामिल होना था, लेकिन अचानक उनका दौरा रद करना पड़ा। वायु सेना प्रमुख वीएस चौधरी, चीफ आॅफ द एयर स्टाफ एयर मार्शल विभाष पांडे समेत सीएम शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगूभाई पटेल कार्यक्रम में मौजूद रहे।
चिनूक की पेलोड क्षमता लगभग 10 टन
चिनूक की पेलोड क्षमता लगभग 10 टन है। इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, डिवाइस, ईंधन, सड़क निर्माण और इंजीनियर उपकरणों को ढोने में किया जाता है। ये काफी ऊंचाइयों तक भारी पेलोड पहुंचा सकता है और उच्च हिमालय संचालन के लिए भी अनुकूल है। यह किसी भी समय और सभी मौसम में संचालित किया जा सकता है। इसके अलावा, ये कठिन और घने इलाके में आॅपरेशन के लिए भी उपयुक्त हैं।
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