2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर हो सकता फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का बाजार
(आज समाज) नई दिल्ली: आजकल हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरें शेयर कर रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरों की जैसे बाढ़ आ गई है। लोग अपनी और अपने बच्चों की एआई-जनरेटेड तस्वीरें धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं।
लेकिन यह देखने में जितना मजेदार लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। Statista की रिपोर्ट के अनुसार, फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का बाजार 2025 तक 5.73 बिलियन डॉलर और 2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर का हो सकता है।
Clearview AI पर 3 अरब से ज्यादा तस्वीरे चुराने का लग चुका आरोप
दरअसल, एआई टेक्नोलॉजी को भूल से भी हल्के में लेने की कोशिश न करें। बिना सोचे समझे किसी भी एआई प्लेटफॉर्म में तस्वीरें अपलोड करना आपको मुश्किल में डाल सकता है। कुछ साल पहले Clearview AI नाम की एक कंपनी पर बिना इजाजत सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाइट्स से 3 अरब से ज्यादा तस्वीरें चुराने का आरोप लगा था। यह डेटा पुलिस और प्राइवेट कंपनियों को बेचा गया था।
आॅस्ट्रेलिया की Outabox कंपनी का डेटा हो चुका लीक
मई 2024 में आॅस्ट्रेलिया की Outabox कंपनी का डेटा लीक हुआ, जिसमें 10 लाख से ज्यादा लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए। यह डेटा एक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया, जिससे हजारों लोग पहचान चोरी और साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो गए।
मेटा और गूगल पर भी लग चुके आरोप
मेटा (फेसबुक) और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों पर आरोप लगते रहे हैं कि वे यूजर्स की तस्वीरों का उपयोग अपने एआई मॉडल्स को ट्रेन करने के लिए करती हैं। PimEyes जैसी वेबसाइट्स किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करके उसकी पूरी डिजिटल उपस्थिति निकाल सकती हैं। इसका सीधा मतलब है कि स्टॉकिंग, ब्लैकमेलिंग और साइबर क्राइम के मामले बढ़ सकते हैं।
इन सावधानियों को अपनाएं
- एआई ऐप्स पर अपनी तस्वीरें अपलोड करना तुरंत बंद करें।
- सोशल मीडिया पर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें अपलोड करने से बचें।
- फेस अनलॉक की जगह मजबूत पासवर्ड या पिन का इस्तेमाल करें।
- किसी भी अनजान ऐप को कैमरा एक्सेस न दें।
- सरकार और टेक कंपनियों से एआई और फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के गैर-कानूनी इस्तेमाल पर सख्त कानून बनाने की मांग करें।