Aaj Samaj (आज समाज), Agriculture Development Officer Dr. -Kuldeep Singh, बंगा(नवांशहर), जगदीश :
पल्ली उची और पल्ली झिक्की गांवों में धान की पराली जलाने से रोकने के लिए किसान प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए। इस संबंध में जानकारी देते हुए कृषि विकास अधिकारी डाॅ. कुलदीप सिंह ने बताया कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली के दिशा-निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मिट्टी के कई बहुमूल्य तत्व नष्ट हो जाते हैं। धान की पराली जलाने से लाभकारी जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पराली जलाने से उससे जहरीली गैसें निकलती हैं, जिसका मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा वातावरण में तापमान में भी वृद्धि होती है।
उन्होंने कहा कि इस पराली को जलाने से बहुत हानिकारक गैसें निकलती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि यदि पराली को बिना जलाए खेतों में जोता जाए तो प्रति टन पराली को खेत में डालने से पांच किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 2.5 किलोग्राम पोटैशियम और 400 किमी कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। डा.कुलदीप सिंह ने किसानों से धान, बासमती व गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों व कीटों के बारे में चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने बासमती की फसल पर दस कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया है। कृषि विस्तार अधिकारी अमृतपाल कौर ने किसानों को कृषि यंत्रों के उचित प्रयोग के बारे में जानकारी दी। डीपीडी आत्मा मैडम परमवीर कौर, डीपीडी आत्मा मैडम नीना कौर ने किसानों को आत्मा योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी और किसानों को गृह वाटिका लगाने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस मौके पर उप निरीक्षक कृषि सरबजीत सिंह, कुलजिंदर कुमार, राम लुभाया के अलावा विभिन्न गांवों से आए किसानों ने भाग लिया।
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