मनोज वर्मा, कैथल:
उपायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि पराली जलाने के मामले में अति संवेदनशील गांवों पर विशेष निगरानी रखी जाए और हर गांव पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। इसके अलावा कृषि विभाग, ग्राम सचिव तथा पटवारियों की ग्राम स्तर पर टीमें बनाई जाएं जो कि किसानों को फसल अवशेष नही जलाने तथा पराली प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करेंगे। किसान धान फसल की कटाई एसएमएस लगी कंबाईनों से अनिवार्य करवाएं ताकि पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सके।
उपायुक्त प्रदीप दहिया की अध्यक्षता में लघु सचिवालय स्थित कांफ्रैंस हॉल में फसल अवशेष प्रबंधन बैठक के दौरान बोल रहे थे। उपायुक्त ने कहा कि किसी भी गांवों में पराली जलाने के घटना न हो, इसके लिए कृषि अधिकारी गांव स्तर पर गठित नोडल अधिकारी से तालमेल स्थापित कर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। इसके अलावा नम्बरदारों ग्राम सचिवों से मिलकर गांवों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों को पराली न जलाने के बारे में प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसान पराली का उपयोग पशुचारे के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भी कर सकता है। जहां पराली का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है वहीं पराली का उपयोग अन्य सामग्री बनाने में भी किया जाता है। कृषि अधिकारी गांवों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर किसानों एवं महिलाओं को पराली जलाने से होने वाले नुकसान व उसके प्रबंधन की जानकारी दें।
उपायुक्त ने इस बैठक में जिला कार्य योजना को मंजूरी दी, जिसमें हरियाणा सरकार के निदेर्शानुसार 45 लाल व 99 यैलो जोन के सभी कस्टम हायरिंग सैन्टर व व्यक्तिगत किसान आवेदनकतार्ओं को अनुदान पर कृषि यंत्र देने का निर्णय लिया गया। रेड जोन वाले गांवों में 497 व्यक्तिगत किसान लाभार्थियों को कृषि यंत्र देने हेतू निर्णय लिया गया, जिसमें 7 स्ट्रावेलर, 4 हैरेक, 7 सुपर एसएमएस, 5 हैप्पी सीडर, 43 पैडी स्ट्रा चोपर, 71 स्ट्रा स्लेशर, 6 रिवर्सिबल प्लो, 167 सुपर सीडर, 179 जीरो ड्रिल मशीन 2 क्रॉप रीपर, फसल अवशेष कृषि यंत्र मूल्य अनुसार दिए जाएं, जिन पर 50 प्रतिशत या अधिकतम तय अनुदान राशि दी जाएगी। इसके अलावा 236 कस्टम हायरिंग सैन्टर रेड एवं यैलो जोन से संबंधित गांवों में दिये जाएंगे, जिनमें 1090 कृषि यंत्र शामिल हैं, जिन पर 80 प्रतिशत या अधिकतम अनुदान राशि दी जाएगी। कस्टम हायरिंग सैन्टर के लिए पंजीकृत किसान समिति का प्रमाण-पत्र, पैनकार्ड, बैंक खाता, मौजूद सैड का विवरण जरूरी है। चयनित कस्टम हायरिंग सैन्टर द्वारा सीआरएम स्कीम में पहले कोई अनुदान नही लिया हो। व्यक्तिगत किसान आवदेनकतार्ओं द्वारा 2018-19 व 2020-21 में आबंटित कृषि यंत्र पर अनुदान राशि नही ली हो उसे ट्रैक्टर का पंजीकरण आधार कार्ड, खाता विवरण, मेरी फसल मेरा ब्यौरा, जमीन के मालिकाना हक (कृषि योग्य भूमि की पटवारी रिपोर्ट), शपथ पत्र की रसीद, आनलाईन आवेदन की रसीद, अनुसूचित जाति हेतू प्रमाण-पत्र आदि कागजात जमा करवाने अनिवार्य हैं। जो किसान ये शर्तें पूरी नहीं करते उनका आवेदन रद्द कर दिया जाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि 1 लाख 55 हजार हैक्टेयर में धान की रोपाई की हुई है, जिसमें से 46 हजार हैक्टेयर में बासमती व 1 लाख 9 हजार हैक्टेयर में गैर बासमती धान लगाई हुई है, जिससे 9 लाख 61 हजार टन पराली पैदा होती है। किसान पराली प्रबंधन कस्टम हायरिंग सैन्टर व व्यक्तिगत किसानों के पास मौजूद फसल अवशेष कृषि यंत्रों से तय दरों पर किराये पर मशीनें लेकर प्रबंधन कर सकते हैं। प्रगतिशील किसान महेन्द्र सिंह ने सुझाव दिया कि ग्रीन जोन वाले आवेदनकतार्ओं को भी अनुदान का लाभ मिलना चाहिए,क्योंकि वो पराली प्रबंधन में पहले से ही योगदान कर रहे हैं। उन्हें अनुदान से वंचित न किया जाए। उन्होंने कहा कि किसान खेतों में फसल के अवशेषों को नहीं जलाएं बल्कि एसएमएस लगी कंबाईन का प्रयोग करें और फसल अवशेषों को मिट्टी में ही मिलाएं ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़े।
इस बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्र से डॉ. रमेश वर्मा, जिला बागवानी अधिकारी डॉ. प्रमोद, एलडीएम विनोद कुमार, सज्जन कुमार, प्रगतिशील किसान महेन्द्र रसीना, गुरपाल सिंह आदि मौजूद रहे। बैठक में वर्ष 2021-22 के लिए किसानों को कस्टम हायरिंग सैन्टर व व्यक्तिगत किसानों द्वारा किराये पर उपलब्ध करवाए जाने वाले हायरिंग रेट भी निश्चित किए गए।
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