Pink Bollworm In Cotton : गुलाबी सुंडी का कपास को लेकर कृषि विभाग की एडवाइजरी

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गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग अलर्ट
गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग अलर्ट
  • अतिरिक्त सतर्कता बरतें किसान : डा. देवेंद्र सिंह
  • गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग अलर्ट

Aaj Samaj (आज समाज),Pink Bollworm In Cotton, नीरज कौशिक, नारनौल : कपास एक महत्वपूर्ण रेशे वाली नकदी फसल है । कपास में बीटी कपास आने से पहले तीन सुंण्डियों का जबरदस्त प्रकोप था। इन तीन सुण्डियों में अमेरिकन सुंडी, गुलाबी सुंडी तथा चितकबरी सुंडी प्रमुख थी। पिछले कुछ वर्षों से मध्य व दक्षिणी भारत में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण इसका प्रकोप देखा गया। वर्ष 2018-19 के दौरान उत्तरी भारत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप पहली बार जिला जींद की कपास मिलों के आसपास देखा गया। क्षेत्र में गुलाबी सुंडी के प्रकोप का मुख्य कारण दक्षिण भारत के राज्यों से लाए गए बिनौले के साथ प्रतिरोधी गुलाबी सुंडी के आने से हुआ।

इसका प्रकोप केवल कपास जिनिंग मिलों व बिनौले से तेल निकालने वाली मिलों के आसपास देखा गया। जिन किसानों ने पिछले साल के कपास की लकड़ियों का ढेर अपने खेत में लगा रखे हैं वहां पर ज्यादा देखने को मिला हैं। गुलाबी सुंडी कपास की फसल को मध्य व अन्तिम अवस्था में नुकसान पहुंचाती है। गुलाबी सुंडी टिंडे के अंदर से अपना भोजन ग्रहण करती है। जिससे कपास की पैदावार व गुणवत्ता पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस वर्ष गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग पूरी तरह अलर्ट है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग नारनौल के उप निदेशक डा. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कपास उत्पादक किसानों को विभाग जागरूक करेगा। गुलाबी सुंडी के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग मुख्यालय से समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है। इसके तहत कृषि अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर कपास फसल की निगरानी करेंगे और जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है उन गांव में गुलाबी सुंडी की पहचान और रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करेंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष शिविरों का आयोजन किया जाएगा ताकि किसान समय रहते गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से बच सके। इसकी अतिरिक्त कृषि अधिकारी किसानों को खरीफ सीजन के कपास की लकड़ियों के अवशेषों को जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा।

गुलाब सुंडी की पहचान व उसके आर्थिक कगार को जाने के लिए खेत में लगाए गए फेरोमोन ट्रैप में 8 प्रोढ़ पतंगे प्रति फेरोमोन ट्रैप में लगातार तीन दिन तक मिले या खेत में कपास के पौधों पर लगे हुए 100 फूलों में से 10 फूल गुलाब की तरह बंद दिखाई देते हैं तथा इन फूलों को खोलने पर इनमें गुलाबी सुंडी या इसके द्वारा बनाया हुआ जाल दिखाई पड़ता है या 20 हरे टिण्डे (10-15 दिन पुरानी बड़े आकार के) को खोलने पर 2 टिण्डों में गुलाबी या सफेद लारवा दिखाई दे, तो गुलाबी सुंडी को नियंत्रण करने की आवश्यकता है।

एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार ना करें

गुलाबी सुंडी का फसल के दौरान गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी व नियंत्रण के लिए दो फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ की दर से फसल में लगाए। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करते रहे। गुलाबी सुंडी से प्रभावित नीचे गिरे टिण्डों, फूल डोडी व फूल को एकत्रित कर नष्ट कर दें। जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हुआ हो उस कपास को अलग से चुगाई करें व अलग ही भण्डारित करें। गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों से नए क्षेत्र में कपास की लकड़ियों को नहीं ले जाना चाहिए। एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार नहीं करना चाहिए।

जिस कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास को घरों या गोदामों में भंडारित नहीं करना चाहिए।

गुलाबी सुंडी के रोक के लिए ये है उपाय

गुलाबी सुंडी बीटी नरमें के दो बीजों को जोड़कर या भंडारित लकड़ियों में निवास करती है। इसलिए लकड़ी या बिनोलों का भंडारण सावधानीपूर्वक करना चाहिए। बीटी नरमे की लकड़ियों से निकलने वाले गुलाबी सुंडी के पतंगों को रोकने के लिए अप्रैल महीने से भंडारित लकड़ियों को पॉलीथिन शीट या मच्छरदानी से ढकें। पिछले साल जिन खेतों में या गांव में गुलाबी सुंडी की समस्या थी, उन खेतों की लकड़ियों से टिंडे व पत्तों को झाड़कर नष्ट कर दें।

कपास की लकड़ी (बनछटी) को झाड़कर दूसरे स्थान पर रखे व बचे हुए अवशेष को जलाकर नष्ट कर दें। गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए यह बगैर पैसे खर्च किए सबसे कारगर तरीका है। अतः सभी किसान अपने खेतों में व अपने गांव के नजदीक बनछटियों के ढेर को झाड़कर अवशेषों को जलाना सुनिश्चित करें।

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