Aaj Samaj (आज समाज),Agaz-e-Dosti Yatra,पानीपत: आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आगाज़-ए-दोस्ती यात्रा में शामिल लगभग 40 महानुभावों का दल खादी आश्रम प्रांगण में पहुंचने पर खादी आश्रम, पानीपत एवं स्वतन्त्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की अध्यक्षा निर्मल दत्त व अन्य संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों के द्वारा गर्म-जोशी के साथ, फूल मालाएं डालकर शहीदों की याद में नारे लगाते हुए स्वागत किया गया तथा खादी आश्रम, पानीपत का परिचय देते हुए श्रीमती निर्मल दत्त ने बताया कि भारत पाक विभाजन के फलस्वरूप आये शरणर्थियों को बसाने के लिए डा. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में जो सैन्ट्रल रिलीफ कमेटी बनी थी, उसकी पंजाब शाखा का सचिव श्री सोमभाई को नियुक्त किया गया तथा उसी की परिणिति वर्ष 1954 में खादी आश्रम के रूप में हुई। खादी आश्रम, पानीपत उत्तर भारत की सबसे बड़ी एवं पुरानी संस्था है जिसके द्वारा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल एवं दिल्ली में हजारों कत्तिनों, बुनकरों एवं कार्यकर्ताओं को रोजगार दिया गया है।
गुमनाम शांति कर्मियों के प्रति भी एक सम्मान
गांधी ग्लोबल के पदाधिकारी एस.पी. सिंह ने बताया कि यह यात्रा आजादी के अमर शहीदों के प्रति एक श्रद्धांजलि और आजादी के बाद भी कार्य करने वाले विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं गुमनाम शांति कर्मियों के प्रति भी एक सम्मान है। आज आजादी के मतवालों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने और सांझी संस्कृति – सांझी शहादत – सांझी विरासत के साथ मानव मूल्यों को मजबूती प्रदान के लिए एवं आने वाले भविष्य के नफरत मुक्त, हिंसा मुक्त, हथियार मुक्त रहने की कामना करते हुए यह यात्रा चल रही है।
खादी जगत में उनको भीष्म-पितामह के रूप में याद किया जाता है
खादी आश्रम, पानीपत के सचिव मुकेश कुमार शर्मा ने खादी आश्रम के संस्थापक सोमभाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सोम दत्त वेदालंकार जो कि सोमभाई के नाम से प्रख्यात हुए, वे जीवन भर खादी आश्रम, पानीपत के संस्थापक एवं सचिव पद पर कार्यरत रहे। खादी जगत में उनको भीष्म-पितामह के रूप में याद किया जाता है। सोमभाई न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि सम्पूर्ण भारत में अनेकों खादी/रचनात्मक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे एवं सन् 1977 से 1980 तक खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष पद पर विराजमान रहे। उन्होंने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रणबीर सिंह हुड्डा का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए बताया कि वे भी स्वतंत्रता सेनानी रहे तथा संविधान सभा के सदस्य रहे। हरियाणा की कुशल राजनीतिज्ञ के आधार पर एम.एल.ए., एम.पी. एवं मंत्री पद पर भी कार्यरत रहे। खादी आश्रम, पानीपत की सभाओं में भी उनका मार्गदर्शन एवं गरिमामयी उपस्थिति का लाभ मिलता रहा।
वे न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि सच्चे अर्थों में गांधीवादी रहे
उन्होंने भीम सैन वेदालंकार के संदर्भ में जानकारी दी कि वे न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि सच्चे अर्थों में गांधीवादी रहे। वर्ष 1956 से खादी ग्रामोद्योग आयोग के गठन उपरांत वे प्रथम निदेशक के पद पर आसीन रहे तथा विभिन्न खादी संस्थाओं में पदाधिकारी एवं मार्गदर्शक रहे। आगाज़-ए-दोस्ती-यात्रा में शामिल भगत सिंह के नाती प्रो. जगमोहन ने बताया कि विगत वर्षों की तरह इस बार भी आगाज़-ए-दोस्ती-यात्रा दिनांक 12.08.2023 से 15.08.2023 तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट, नई दिल्ली से चलकर शहीद भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, बटुकेशवर दत्त एवं माता विद्यावती के समाधि स्थल हुसैनीवाला, फीरोजपुर (पंजाब) तक जाएगी। आजादी के अमृत महोत्सव पर इसका खास महत्व है।
अन्य वक्ताओं ने भी यात्रा के महत्व के बारे में अपने-2 विचार रखे
यह यात्रा स्थान-2 पर रूककर भारतीय आजादी के मूल्यों, संघर्ष व उनके नेताओं के संदेश को आम-जन तक पहुंचाएगी। दीपचन्द्र निर्मोही, दीपक कथूरिया, सरोजबाला गुर एवं यात्रा दल में शामिल अन्य सदस्यों ने भी उक्त यात्रा के महत्व के बारे में अपने-2 विचार रखे। इस अवसर पर खादी आश्रम, पानीपत, भारतीय खादी ग्रामोद्योग संघ उत्तरी क्षेत्र, पानीपत, विद्या भारती माॅडर्न स्कूल, पानीपत, सोमभाई मैमोरियल ट्रस्ट, पानीपत, पानीपत नागरिक मंच से जुड़े कार्यकर्ता, शिक्षिका एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। अन्त में निर्मल दत्त द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया तथा आगाज़-ए-दोस्ती-यात्रा को शुभकामनाएं देते हुए आगामी पड़ाव के लिए रवाना किया गया।