कोविड के मरीजों की संख्या मुंबई समेत पुरे महाराष्ट्र में कम हो रही है वही गोवा, दिल्ली, राजस्थान में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में महराष्ट्र सरकार ने इन राज्य से आनेवाले लोगो के लिए कोविड नेगेटिव का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया है ऐसे में ८ महीने से घर में बंद मुंबई के लोग बाहर घूमने जाने का मौका गवाना नहीं चाहते है। मुंबई के ज्यादातर लोग महाबलेश्वर, लोनावाला , नाशिक और गोवा जा रहे है। ऐसे तो मुंबई के लोग दिवाली के बाद आमतौर पर हिमाचल प्रदेश, गुजरात या राजस्थान ठण्ड का मजा लेने जाते है लेकिन इन राज्य में कोरोना का केस ज्यादा होने के कारण इस बार मुम्बईकर काश्मीर जा रहे है। कश्मीर की बर्फीली वादी और बर्फ का मजा लेने के लिए वहा जा रहे है। काश्मीर में पर्यटन उधोग फिर से फल फूल रहा है यह एक अच्छे संकेत है. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया गया। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। धीरे-धीरे राज्य पर लगे अलग-अलग प्रतिबंध खत्म किए गए हैं और हालात सामान्य हो गए हैं। ५ अगस्त २०१९ के बाद अब कश्मीर में हालात ठीक हो गए है, 2017 में 35 लाख पर्यटक घाटी में आए थे जबकि 2018 में 42 लाख लेकिन साल २०१९ में राज्य का दर्जा जाने के बाद 34 लाख पर्यटक ही पहुंचे।वही कोविड के लॉकडाउन के बाद अब फिर से साल २०२० में पर्यटक आने लगे है. हालांकि पर्यटक की संख्या अभी भी कम है लोगो में अभी भी डर है। लेकिन इस डर के बावजूद हम पहुंच गए कश्मीर बर्फ का मज़ा लेने के लिए. जैसे ही एयरपोर्ट पर पहुंचे की कोविड टेस्ट किया गया. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही सभी यात्रीओ को एयरपोर्ट के बाहर जाने की इजाजत दी गयी. जैसे ही एयरपोर्ट के बाहर निकले की तापमान ३ डिग्री था मुंबई के ३४ डिग्री तापमान से सीधे फ्रीजर में पहुंच गए.
कश्मीर में मुझे मुंबई कई पर्यटक मिले। मुंबई के मुलुंड, घाटकोपर, कांदिवली ,माटुंगा, पेडर रोड से कश्मीर घूमने आये लोग मिले। डल झील पर मुलकात हुई जम्मू कश्मीर टूरिज्म के डिरेक्टर निसार वाणी से जो मुंबई के पूजा ग्रुप से आये ११० पर्यटक का स्वागत करने आये थे, यह १५ महीने के बाद कश्मीर आनेवाला पहिला पर्यटक ग्रुप था. निसार वाणी ने कहा की सबसे ज्यादा पर्यटक गुजराती आते है ४०% पर्यटक गुजराती है इसके बाद २०% मराठी और तीसरे नंबर पर बंगाली लोग है.१५ महीने के बाद कश्मीर में पर्यटन उधोग शुरू हो रहा है धीरे धीरे पटरी ज़िंदगी पर लौट रही है. ऐसे तो सर्दी में पर्यटक की संख्या कम हो जताई है जिसको बर्फ़बारी का मजा लूटना है वही लोग आते है ज्यादातर लोग क्रिसमस और न्यूयर में ही आते है.
पूजा टूर्स के सतीश शाह का कहना है की उन्होंने अनलॉक कश्मीर के नाम से एक केम्पेन शुरू किया है। जिसमे कश्मीर के टूरिस्म को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता है. १५ महीने के बाद ११० लोगो का ग्रुप लेकर वह मुंबई से आये है। १५ महीने के बाद कश्मीर में किसी टूर ऑपरेटर ने टूर निकाली है. अब उनका मकसद सामान्य आदमी को भी कश्मीर घुमाना है इसलिए अब वह नो लॉस नो प्रॉफिट के आधार पर २०२१ में कश्मीर की टूर निकालनेवाले है। जिसके चलते हर व्यक्ति कश्मीर के टूर कर सके.
भारत का स्विट्ज़रलेंड कहे जाने वाले गुलमर्ग में फिलहाल ८ से १० फ़ीट की बर्फ है मानो बर्फ की चादर ही गुलमर्ग ने बिछा ली है। गुलमर्ग में पहचान हुई मुंबई की दो महिला से जो अपने बच्चो के साथ पति देव के बिना बर्फ़बारी का मजा लूटने आयी थी उनका कहना था की कश्मीर में वह अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रही है.
शादी के ३५ साल के बाद पहली बार घर से बाहर निकले ६० साल के मुंबई के चंद्रकांत गाला और बिना गाला। बिना गाला का कहना है की सिर्फ फिल्मो में ही उन्होंने देखा था कश्मीर को देखना उनका सपना था जो अब इस उम्र में पूरा हुआ है ,गुलमर्ग के गोंडोला राइड से चीड़ के पेड़ पर बर्फ को देखना एक अद्भुत अहसास है. गुलमर्ग की तरह ही खूबसूरत है पहलगाम, पहलगाम से ही जुलाई अगस्त में बाबा बर्फानी की यात्रा शुरू होती है। अमरनाथ की यात्रा सोनमर्ग बालटाल या फिर पहलगाम चंदनवाड़ी से की जा सकती है। पहलगाम में मुलाकात हुई मुश्ताक़ पहलगामी से. जो यहाँ के पर्यावरण को बचाने की मुहीम चलाते है आमतौर पर जो पर्यटक आते है वह अपने साथ प्लास्टिक की बोतल और वेफर के रेपर को यहाँ वह फेक देते है जिसके कारण पर्यावरण को नुक्सान पहुँचता है इसीको लेकर वह मुहीम चला रहे है न सिर्फ इतना बल्कि जंगल काटकर बन रही होटल और रिसोर्ट के खिलाफ भी उन्होंने आवाज़ उठायी है.मुश्ताक़ पहलगामी की ही पहलगाम के इब्राहिम रैना एडवेंचर टूर और ट्रेक का आयोजन करते है पहलगाम के विभिन्न जगह पर उन्होंने ने यात्रिओ को अलग अलग ट्रेकिंग कराई है
१५ महीने के बाद कश्मीर में पर्यटक आ रहे है डल लेक में मुलाकात हुई चंडीगढ़ के एक कपल से. नीरव चड्ढा और बंसी से। शादी के बाद हनीमून के लिए यहाँ आये है हनीमून के लिए उनको पेरिस जाना था लेकिन यूरोप में लॉक डाउन होने से वह कश्मीर आ गए। अब वह कश्मीर के बर्फीली मजा और -८ डिग्री तापमान का मजा ले रहे है। यही मुलाक़ात हुई मुंबई से घूमने आये संजय परमार और उनकी पत्नी मंजू से. वह हनीमून के लिए ३० साल पाहिले कश्मीर आये थे और अब वह फिर से कश्मीर आये है. संजय परमार का कहना है की कश्मीर की खूबसूरती ज्यो की त्यों है उसमे कोई भी बदलाव हुआ नहीं है।
कश्मीर की खूबसूरती अभी भी बरकरार है अब पर्यटक न सिर्फ सोनमर्ग, गुलमर्ग या पहलगाम जा रहे है बल्कि, सिंथनटॉक , दूध पटरी, कुपवाड़ा जैसी अलग अलग भी जा रहे है। कश्मीर की खूबसूरत वादियों के बारे में यही कहाँ जा सकता है की
ये बर्फ की चादर से ढंके देवदार के पेड़
कहते हों,ऊँचा उठते चलो आगे बढ़ते चलो
उस आसमां को छूते चलो,
मन करता है इन्हें सदा यूँ ही निहारती रहूँ I
ये वादियाँ मेरी हसीं वादियाँ…