आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली:
कई कोशिशों के बाद किंगफिशर हाउस बिक ही गया। कभी ये विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर का हेडक्वार्टर था। इसकी बोली 52 करोड़ में लगी है, जिसे एक प्राइवेट डेवलपर ने खरीदा है। इससे पहले आठ बार बेचने की कोशिश की गई थी, जो नाकाम रही थी। विजय माल्या की बैंकरंप्ट हो चुकी कंपनी किंगफिशर का हेडक्वार्टर रहा, जो अब बिक गया है। इसे हैदराबाद के एक प्राइवेट डेवलपर सैटर्न रिएल्टर्स ने 52 करोड़ रुपये में खरीदा है। इससे पहले भी विजय माल्या के कर्जदारों ने किंगफिशर हाउस को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन रिजर्व प्राइस अधिक रखे जाने की वजह से डील नहीं हो पा रही थी। विजय माल्या की प्रॉपर्टीज को नीलाम करने में कारोबारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। बैंकों की तरफ से माल्या की प्रॉपर्टीज का को वैल्युएशन किया जा रहा है, उस दाम पर कोई प्रॉपर्टी खरीद ही नहीं रहा। किंगफिशर हाउस की प्रॉपर्टी की नीलामी भी 8 बार फेल हुई थी। मार्च 2016 में बैंकों ने इस बिल्डिंग का रिजर्व प्राइस 150 करोड़ रुपये रखा था। यही वजह है कि ये बिल्डिंग अब तक बिक नहीं पाई थी।
आज यह है भवन का मूल रूप
इस भवन में एक बेसमेंट, एक ग्राउंड फ्लोर, एक अपर ग्राउंड फ्लोर और एक अपर फ्लोर है। इस बिल्डिंग का पूरा एरिया करीब 1586 स्क्वायर मीटर है, जो 2,402 स्क्वायर मीटर के प्लॉट पर बना हुआ है। रीयल एस्टेट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक बैंकों ने इसकी कीमत सही नहीं लगाई थी। यह बिल्डिंग मुंबई एयरपोर्ट के बाहरी इलाके में स्थित है, ऐसे में इसे डेवलप करने का अधिक स्कोप नहीं है।
डिफाल्टर हो चुका है माल्या
विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की सेवाएं जारी रखने के लिए भारतीय स्टेट बैंक समेत दूसरे बैंकों से करीब 9,990 रुपये का कर्ज लिया था। कंपनी की हालत खराब होने की वजह से माल्या बैंकों का पैसा नहीं चुका सका। 2012 में माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो चुकी है। इसी साल जुलाई में लंदन हाईकोर्ट ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित किया है और अब माल्या को भारत वापस लाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
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