अंबाला। इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी ने शिक्षा विभाग द्वारा गत दिवस बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिए जाने संबंधी निदेर्शों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आई पी एस एस के प्रधान सौरभ कपूर ने आरोप लगाया कि इस तरह के तुगलकी फरमान जारी कर प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूलों को खत्म करने का षडय़ंत्र रच रही है। अगर यह निर्णय वापस नहीं हुआ तो बजट प्राइवेट स्कूल बन्द होने की कागार पर आ जायेंगे।
इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान सौरभ कपूर और महासचिन अजय खटकर ने अपने एक सयुक्त बयान में कहा कि प्राइवेट स्कूल पहले ही करोना महामारी की मार झेल रहे हैं, और हजारों स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। लॉकडाउन के बाद सरकार द्वारा बार-बार प्राईवेट स्कूलों के खिलाफ कई सरकारी आदेश निकाले गए है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते हरियाणा में प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया, जिनके बच्चे लगभग सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे, जिसे सरकारी स्कूलों की बच्चों की संख्या कम हो गई है तो सरकार ने सभी नियमों की अनदेखी करते हुए प्राईवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के बिना एसएलसी सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने का फरमान निकाल दिया, जिसका इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी विरोध करती है।
सौरभ कपूर ने कहा कि कोई भी अभिभावक आज अपने बच्चें को सरकारी स्कूल में नही पढ़ाना चाहता ओर प्रदेश में प्राईवेट स्कूल तीन सौ रुपए प्रतिमाह फीस लेकर आगे तक की फीस स्कूल की सुविधाओं के अनुसार लेते है। प्रदेश में ज्यादातर कम बजट वाले निजी स्कूल है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद अभी पिछले सत्र की फीसें निजी स्कूलों को नही मिल पाई थी, वही दूसरी ओर एसएलसी की अनिवर्यता का आदेश देकर सरकार ने ऐसे निजी स्कूलों के साथ एक षड्यंत्र रचकर केवल ओर केवल अपने स्कूलों में बच्चों के संख्या बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जहां लॉकडाउन की स्थिति में पिछले तीन महिनें से निजी स्कूल फीस ना मिलने के कारण परेशान है, जिस कारण स्कूल टीचरों को सैलरी देने में असमर्थ है। ऐसे में निजी स्कूलों की मदद करने की बजाए सरकार षड्यंत्र रचाकर उनको बंद करने की कागार पर खड़ा कर रही है ओर यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार के ऐसे आदेशों से कम बजट वाले प्राईवेट स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएगे, जोकि पिछले सत्र के फीस के पैसे स्कूलों को नही मिले ओर एसएलसी जारी करने से पहले स्कूल अपनी पिछली फीस ले लेता था, जिसे लेना अब नामुकिन नजर आ रहा है। इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान सौरभ कपूर ने कहा कि अगर सरकार तुगलीक फैसला वापिस नही लेती तो सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान सौरभ कपूर और महासचिन अजय खटकर ने अपने एक सयुक्त बयान में कहा कि प्राइवेट स्कूल पहले ही करोना महामारी की मार झेल रहे हैं, और हजारों स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। लॉकडाउन के बाद सरकार द्वारा बार-बार प्राईवेट स्कूलों के खिलाफ कई सरकारी आदेश निकाले गए है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते हरियाणा में प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया, जिनके बच्चे लगभग सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे, जिसे सरकारी स्कूलों की बच्चों की संख्या कम हो गई है तो सरकार ने सभी नियमों की अनदेखी करते हुए प्राईवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के बिना एसएलसी सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने का फरमान निकाल दिया, जिसका इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी विरोध करती है।
सौरभ कपूर ने कहा कि कोई भी अभिभावक आज अपने बच्चें को सरकारी स्कूल में नही पढ़ाना चाहता ओर प्रदेश में प्राईवेट स्कूल तीन सौ रुपए प्रतिमाह फीस लेकर आगे तक की फीस स्कूल की सुविधाओं के अनुसार लेते है। प्रदेश में ज्यादातर कम बजट वाले निजी स्कूल है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद अभी पिछले सत्र की फीसें निजी स्कूलों को नही मिल पाई थी, वही दूसरी ओर एसएलसी की अनिवर्यता का आदेश देकर सरकार ने ऐसे निजी स्कूलों के साथ एक षड्यंत्र रचकर केवल ओर केवल अपने स्कूलों में बच्चों के संख्या बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जहां लॉकडाउन की स्थिति में पिछले तीन महिनें से निजी स्कूल फीस ना मिलने के कारण परेशान है, जिस कारण स्कूल टीचरों को सैलरी देने में असमर्थ है। ऐसे में निजी स्कूलों की मदद करने की बजाए सरकार षड्यंत्र रचाकर उनको बंद करने की कागार पर खड़ा कर रही है ओर यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार के ऐसे आदेशों से कम बजट वाले प्राईवेट स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएगे, जोकि पिछले सत्र के फीस के पैसे स्कूलों को नही मिले ओर एसएलसी जारी करने से पहले स्कूल अपनी पिछली फीस ले लेता था, जिसे लेना अब नामुकिन नजर आ रहा है। इटिग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान सौरभ कपूर ने कहा कि अगर सरकार तुगलीक फैसला वापिस नही लेती तो सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।