प्रवीण वालिया, करनाल:
- एक माह एडवांस ही प्रशासन ने तैयार किया माइक्रो एक्शन प्लान,
- धरातल पर उतारने के लिए पटवारी, ग्राम सचिव व कृषि अधिकारियों की संयुक्त टीम रखेगी पैनी नजर
- लापरवाही बरतने वाले पटवारी, ग्राम सचिव व कृषि अधिकारी के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही।
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन एक्शन मोड में
फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। धान का सीजन शुरू होने से एक माह एडवांस ही प्रशासन ने माइक्रो एक्शन प्लान तैयार किया गया है, जिसे धरातल पर उतारने के लिए पटवारी, ग्राम सचिव व संबंधित क्षेत्र के कृषि अधिकारी की एक संयुक्त टीम का ग्राम स्तर पर गठन किया गया है, जोकि न केवल एडवांस में ही किसानों को पराली जलाने से होने वाली हानियों के बारे में जागरूक करेंगे बल्कि ऐसे किसानों पर भी कड़ी नजर रखेंगे जिन्होंने पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं को अंजाम दिया है।
प्रशासन का माइक्रो एक्शन प्लान तैयार
यह रहस्योद्घाटन उपायुक्त अनीश यादव ने स्थानीय पंचायत भवन में कृषि विभाग, राजस्व विभाग तथा पंचायत विभाग के उपमंडल, खंड व ग्राम स्तर पर कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों की बैठक को संबोधित करते हुए किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन का प्रयास है कि इस बार जिला में पराली जलाने की घटना कहीं भी घटित न हो, इसके लिए प्रशासन ने माइक्रो एक्शन प्लान तैयार किया है। इस एक्शन प्लान के तहत गांव से लेकर जिला स्तरीय कमेटियों का गठन किया गया है जोकि अपने-अपने क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी नजर रखेगी। इसके अलावा सरकार की ओर से पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग के माध्यम से दिए जाने वाले प्रोत्साहन राशि के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति समझाने के बाद भी पराली जलाने की कोशिश करेगा, प्रशासन ऐसे लोगों से सख्ती से निपटेगा और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हिदायतों के अनुसार दंडनीय कार्यवाही भी करेगा।
सैटेलाईट के माध्यम से भी नजर रखी जाएगी
उपायुक्त ने विशेषतौर से ग्राम स्तर की कमेटी से जुड़े कृषि अधिकारी ग्राम सचिव व पटवारी को सख्त हिदायत दी कि वे एक माह पहले ही ऐसे लोगों से संपर्क करे जिन्होंने पिछले साल पराली जलाने की घटनाओं को अंजाम दिया था, इसका डाटा कृषि विभाग उपलब्ध करवाएगा। इस कार्य में संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार, बीडीपीओ तथा एसडीएम इन टीमों के साथ-साथ पराली जलाने की घटनाओं पर पैनी नजर रखेंगे। इसके अलावा जिला स्तरीय कमेटी में शामिल वे स्वयं तथा अन्य अधिकारी भी धान का सीजन शुरू होते ही फील्ड में जाएंगे। उन्होंने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं पर सैटेलाईट के माध्यम से भी नजर रखी जाएगी जिसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन के पास मिलेगी। अगर गांव स्तर पर पटवारी, ग्राम सचिव या कृषि अधिकारी की लापरवाही नजर आई तो उनके खिलाफ भी सख्त प्रशासनिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इसके अलावा अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशासन की ओर से सम्मानित भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसानों को समझाएं कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा अनुदान राशि पर किसानों को कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके अलावा कस्टम हेयरिंग सैंटर पर भी कृषि उपकरण उपलब्ध हैं, जिन्हें किराए के लिए रियायती दरों पर किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि गांव स्तर की टीम सभी कस्टम हेयर सैंटर से संपर्क रखें और जिस भी किसान को कृषि उपकरणों की जरूरत है, उन्हें तुरंत उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें। जिला में बेलर मशीन की कोई कमी नहीं है, केवल किसानों को जागरूक होने की जरूरत है।
पराली स्टोर के लिए 4 डिपो सैंटर बनाए
बैठक में उप कृषि निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि पिछले वर्ष जिला में पराली जलाने की घटना अधिकतर असंध, निसिंग, नीलोखेड़ी व घरौंडा क्षेत्र में हुई थी। इन क्षेत्रों पर और अधिक पैनी नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जिला में 702 कस्टम हेयरिंग सैंटर हैं, जोकि प्रदेश में सर्वाधिक हैं। इन सैंटरों पर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि उपकरण उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इंडियन ऑयल कार्पोरेशन द्वारा पानीपत रिफाईनरी में पराली के समुचित प्रंबधन के लिए इथेनॉल प्लांट लगाया गया है जिसमें हर वर्ष 2 लाख मीट्रिक टन पराली की खपत रहेगी। कंपनी की ओर से जिला में 4 डिपो सैंटर बनाए गए हैं, जहां पर आसपास के क्षेत्रों से पराली स्टोर की जाएगी। यहां से कंपनी वाले आवश्यकता के अनुसार इथेनॉल प्लांट में ले जाती रहेगी।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त डा. वैशाली शर्मा, एसडीएम करनाल अनुभव मेहता, एसडीएम असंध मनदीप कुमार, एसडीएम घरौंडा अभय सिंह जांगड़ा, डीआरओ श्याम लाल, डीडीपीओ राजबीर खुंडिया सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।