Aditya-L1 Launching: सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 सफलतापूर्वक लांच

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Aditya-L1 Launching
सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 सफलतापूर्वक लांच

Aaj Samaj (आज समाज), Aditya-L1 Launching, हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 तय समयानुसार आज ठीक 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के एक्सएल वर्जन रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सफल लैंडिंग के दस दिन बाद बाद यह प्रक्षेपण किया गया।

  • मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़

4 महीने बाद लैगरेंज प्वाइंट-1 (एल1) तक पहुंचेगा

आदित्य एल 1 सूर्य की स्टडी करेगा। विस्तृत अध्ययन करने के लिए यह अपने साथ सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है। पीएसएलवी ने प्रक्षेपण के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य-एल1 को 235 x 19500 Km की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया। अब वह करीब 4 महीने बाद लैगरेंज प्वाइंट-1 (एल1) तक पहुंचेगा। इस प्वाइंट-1 पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च किया जा सकता है। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।

पहला पेलोड रोज भेजेगा 1000 से ज्यादा तस्वीरें, पहली फरवरी में

आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) लक्षित आॅर्बिट में पहुंचकर रोज 1000 से अधिक तस्वीरें भेजेगा, जो अध्ययन में मददगार साबित होंगी। आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने बताया है, तस्वीर चैनल की ओर से हर मिनट में एक तस्वीर भेजी जाएगी यानी 24 घंटों में लगभग 1,440 तस्वीर सामने आएंगी। यान की मदद से पहली तस्वीर फरवरी में सामने आ जाएगी।

जानिए क्या है लैगरेंज प्वाइंट

लैगरेंज प्वाइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में एल1 नाम से जाना जाता है। धरती और सूर्य के बीच ऐसे पांच प्वाइंट हैं, जहां सूर्य व पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है। ऐसे में इस जगह यदि किसी आॅब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और ऊर्जा भी कम लगती है। पहला लैगरेंज प्वाइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।

इस वजह से सूर्य पर नहीं उतरेगा आदित्य-एल1

सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है। उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना असंभव है। बता दें धरती पर इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो सूरज की गर्मी बर्दाश्त कर सके। इसलिए स्पेसक्राफ्ट्स को सूरज से उचित दूरी पर रखा जाएग या उसके आसपास से गुजारा जाएगा।

मिशन को देखने पहुंचे थे कई लोग

मिशन को देखने के लिए कई लोग श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे थे। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक, डाक्टर अनिल भारद्वाज ने कहा, हम सभी लॉन्च को लेकर बहुत उत्साहित थे। यह आदित्य एल 1 सूर्य मिशन सूरज का अध्ययन करने के लिए भारत का एक बहुत ही अनोखा मिशन है।

 

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