एक्यूपंक्चर हजारों वर्षों से उपयोग होता आ रहा है। लेकिन इससे मिलने वाले लाभ के बारे में धीरे-धीरे लोगों को पता चल रहा है। इस तरह के इलाज में दवाएं शामिल नहीं होती हैं। यह एक सुरक्षित, दवा से मुक्त इलाज का तरीका होता है। कई रिसर्च से पता चला है कि एक्यूपंक्चर घुटने के दर्द, पुराने आस्टियोआर्थराइटिस, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गर्दन के दर्द से राहत दिलाने में काफी प्रभावी है।
क्या कहते हैं दर्द के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर छह में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में आर्थराइटिस से पीड़ित है। यह आंकड़ा कुल जनसंख्या का लगभग 15 से 17% है। अर्थराइटिस के अलावा पीठ दर्द भारत में अन्य 25 से 30% लोगों को प्रभावित करता है। जबकि मस्कुलोस्केलेटल डिसआर्डर 20 से 25% लोगों में क्रोनिक दर्द के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस तरह के डिसआर्डर से नसों, टेंडन,जोड़ों, मांसपेशियों और लिगामेंट प्रभावित होता हैं। इंटरनेशनल आॅस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लगभग 50 मिलियन लोग फ्रैक्चर से पीड़ित हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों में हड्डियों का मिनरल लेवल 15% कम है, जिससे भारतीयों में जल्दी फ्रैक्चर होता है।
कोविड-19 ने और बढ़ाया दर्द
भारतीय आबादी में मौजूद दर्द की व्यापकता को कोविड-19 महामारी ने और बढ़ा दिया है। हमारे देश की आबादी की हड्डियों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। इसका कारण यह है कि लोग घर के अंदर ज्यादा समय बिता रहे हैं। कम चलने फिरने, बदलती लाइफस्टाइल, खराब पोस्चर, घर के अंदर अपर्याप्त काम करने की जगह और विटामिन डी की कमी होने से हर उम्र के लोगों में हड्डियों संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
युवा महिलाओं में भी बढ़ रहा है आस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम
विशेष रूप से युवा महिलाएं आस्टियोआर्थराइटिस रोग की चपेट में हैं। इनमें से लगभग 30 मिलियन या अधिक युवतियों का वजन सामान्य से ज्यादा है। इसलिए यह एक बड़ी चिंता का विषय है। युवा आबादी के लिए इस दर्द को झेल पाना लंबे समय की समस्या हो जाता है। जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी और रिश्ते भी प्रभावित होते हैं।
शरीर में होने वाला दर्द और एक्यूपंचर
बताते हैं कि पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के हिसाब से खुद को ढालने में लगी है। घर पर रहकर लंबे समय तक काम करने के कारण पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, गर्दन और कंधों में जकड़न के मामलों में वृद्धि हो रही है। हालांकि पेन किलर दवाएं या ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) दवाएं दर्द से कुछ राहत दिलाने में मददगार हो सकती हैं। मगर ये दवाएं दर्द के वास्तविक कारण का इलाज किए बिना लक्षणों को कंट्रोल करती हैं। एक्यूपंक्चर शरीर के भीतर ऊर्जा को रेगुलेट करने का काम करता है। एक्यूपंक्चर उन लोगों के लिए एक सुरक्षित इलाज का तरीका हो सकता है, जो हड्डी या मांसपेशियों से संबंधित दर्द से पीड़ित होते हैं।
कैसे काम करता है एक्यूपंक्चर
एक्यूपंक्चर एक वैकल्पिक इलाज का तरीका है। इसमें पतली सुइयों का उपयोग किया जाता है। इन सुइयों को शरीर के विशिष्ट प्वाइंट पर अलग-अलग जगह पर गहराई तक डाला जाता हैं। जब सुइयों को अच्छी तरह से रखा जाता है, तो वे न्यूरोट्रांसमीटर के रिलीज को बढ़ा सकते हैं। इन ट्रांसमीटर को एन्केफेलिन्स और एंडोर्फिन भी कहा जाता है। यह दर्द की संवेदना को कम करते हैं। जब एक्यूपंक्चर सुई डाली जाती है, तो यह कोर्टिसोल के उत्पादन में मदद करती है, जिससे सूजन कम होती है। जब एक्यूपंक्चर को अकेले या विभिन्न प्रकार के अन्य उपचार प्रक्रियाओं के संयोजन में उपयोग किया जाता है, तो एक्यूपंक्चर रूमेटोइड अर्थराइटिस के लिए उपयोगी होता है। यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। इसके अलावा 1997 में जारी एनआईएच (नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हेल्थ) के बयान के अनुसार एक्यूपंक्चर को जब एक व्यापक उपचार प्रक्रिया के रूप में अंजाम दिया जाता है, तो आॅस्टियोआर्थराइटिस, मायोफेशियल दर्द और फाइब्रोमायल्गिया से होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
इन समस्याओं में किया जा सकता है एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन स्वास्थ्य समस्याओं की एक सूची तैयार की है, जिनमें एक्यूपंक्चर से लाभ मिल सकता था।रूमेटाइड अर्थराइटिस, टेनिस एल्बो, मोच, फाइब्रोमायल्गिया, रीढ़ की हड्डी में दर्द, गर्दन में अकड़न, नसों का दर्द, चेहरे का दर्द। किसी व्यक्ति को एक्यूपंक्चर से कितना लाभ हो सकता है, यह उसकी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है। आमतौर पर बेहतर लाभ प्राप्त करने के लिए कई एक्यूपंक्चर थेरेपी सेशन की जरूरत होती है। हालांकि एक्यूपंक्चर थेरेपी को हमेशा एक अनुभवी, लाइसेंस प्राप्त प्रैक्टिशनर से कराने के लिए कहा जाता है, क्योंकि अगर गलत जगहों पर सुई चुभोई गई तो आगे चलकर समस्याएं पैदा हो सकती है।