Actress Jiah Khan Suicide Case : अभिनेत्री जिया खान खुदकुशी मामला: सूरज पंचोली सबूतों के अभाव में बरी

0
188
अभिनेत्री जिया खान
अभिनेत्री जिया खान

Aaj Samaj, (आज समाज),Actress Jiah Khan Suicide Case,दिल्ली :

1. अभिनेत्री जिया खान खुदकुशी मामला: सूरज पंचोली सबूतों के अभाव में बरी

मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को अभिनेत्री जिया खान की खुदकुशी मामले में सूरज पंचोली को सबूतों के अभाव के कारण बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि यह सबूत साबित नहीं करते कि सूरज पंचोली इस मामले में आरोपी है। जिया (25), एक अमेरिकी नागरिक, 3 जून, 2013 को अपने जुहू स्थित घर में मृत पाई गई थी। बाद में, पुलिस ने सूरज को 6 पन्नों के एक पत्र के आधार पर गिरफ्तार किया, जिसे कथित तौर पर बॉलीवुड अभिनेत्री द्वारा लिखा गया था, और उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था।  फिर, इस मामले को 2021 में एक विशेष सीबीआई अदालत को  सौंपा गया था, जब सत्र अदालत ने कहा था कि इस मामले पर उसका अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इसकी जांच की थी।

इसके अलावा, सीबीआई ने आरोप लगाया कि 10 जून, 2013 को मामले की जांच करने वाली मुंबई पुलिस द्वारा जब्त किया गया पत्र जिया खान द्वारा लिखा गया था।

2.हिरासत में लेने का हुक्म सुनते ही अदालत से भाग खड़ा हुआ मुजरिम, कोर्ट में तैनात पुलिसकर्मियों की आई शामत*

कोर्ट में पेशी के दौरान आवाज लगाते ही आरोपी के फरार होने बीकानेर की एक अदालत में हड़कंप मच गया। दरअसल, जब आरोपी को आवाज लगाई तो कोर्ट ने उसे हिरासत में लेने का हुक्म दिया। अदालत में काफी भीड़ थी। कोर्ट में तैनात कर्मचारी और पुलिसकर्मी जब तक उसे मुलजिमों वाले कटघरे में ला कर खड़ा करते तब तक वो फरार हो चुका था।
बीकानेर की सदर पुलिस देशनोक निवासी इस आरोपी की तलाश कर रही है। उसके खिलाफ एक और मुकदमा कायम हो गया है। इसी के साथ कोर्ट में तैनात पुलिस कर्मियों की नौकरी पर खतरे की तलवार लटकने लगी है।

ऐसी जानकारी मिली है कि बीकानेर के गांधी नगर रहने वाले राजेंद्र सिंह यादव ने सदर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी कि देशनोक के मुंदड़ा कुआ के पास रहने वाले धीरज दान को अदालत में पेश किया गया था। ज्यादा भीड़ होने के कारण इसमें विलंब हो गया। धीरज को जब आवाज देकर बुलाया गया तो वो वहां नहीं था। आसपास ढूंढा गया लेकिन वो नहीं मिला। इसके बाद पेशकार यादव ने सदर थाने में मामला दर्ज कराया।

इस मामले की जांच बीकानेर के सदर थाने के एएसआई अशोक कुमार को सौंपी गई है। पुलिस ने बताया कि एक पुराने मामले में उसकी पेशी हुई थी। अदालत की कार्रवाई के दौरान ही वो फरार हो गया। अब उसकी तलाश हो रही है। कोर्ट में लगे CCTV कैमरों की मदद भी ली जा सकती है। धीरज दान को एक पुराने मामले में अदालत में पेश किया गया था। जिसमें उसे जेल भेजने के आदेश दिए गए थे। अब उसे अदालत से फरार होने के मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

3.*सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उद्धव गुट गदगद, शिंदे गुट को शिवसेना की संपत्ति देने की मांग करने वाली याचिका खारिज*

शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के पास मौजूद सभी संपत्ति एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। आशीष गिरी नाम के वकील ने यह याचिका दाखिल की थी।

गिरी की याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा, यह किस तरह की याचिका है और आप कौन हैं? आप की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। इस आदेश के बाद उद्धव गुट में एक बार फिर से जोश उफान पर है। हालांकि इलेक्शन कमीशन और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही शिवसेना का औपचारिक नाम और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को दे दिया है। फिर भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट शिंदे सरकार की वैधानिकता पर जल्द ही अंतिम फैसला सुनाने वाली है। उद्धवगुट को लगता है कि फैसला उनके ही पक्ष में आने वाला है और एक बार फिरसे महाराष्ट्र में उद्धव के नेतृत्व में महा अघाड़ी सरकार बनने वाली है। उद्धवगुट के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने इस बारे में राजनीतिक बयान भी दिया है।

शुक्रवार को भरी अदातल में जब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वो किस हैसियत से शिवसेना का सारी संपत्ति एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने की मांग कर रहे है तो याचिका का वकील बगलें झांकने लगा। सीजेआई ने उक्त याचिका को देखते ही कुछ ही क्षणों में खारिज कर दिया

सुप्रीम कोर्ट के रुख पर दोनों गुटों के लोग पहले से निगाहें गढाए हुए थे। जैसे ही उद्धव गुट को फैसले की जानकारी मिली वैसे ही दिल्ली से लेकर मुंबई तक खुशियां मनाई जा रही हैं।

4.सेंट स्टीफन कॉलेज की याचिका पर दिल्ली यूनिवर्सिटी और यूजीसी को दिल्ली हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस*

हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज की याचिका पर दिल्ली यूनिवर्सिटी से जवाब तलब कियाहै। इस याचिका में यूनिवर्सिटी की उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसमें कॉलेज में अल्पसंख्यक आरक्षण के तहत सीयूईटी के अंकों के आधार पर बिना साक्षात्कार के ही करने पर जोर दिया गया है।

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज की याचिका पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के साथ-साथ यूजीसी को भी नोटिस जारी किया और उनसे जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की अधिसूचना प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में पिछले साल उसके द्वारा पारित एक फैसले के ‘विपरीत’ है।

पिछले साल के फैसले में सेंट स्टीफंस कॉलेज को अतिरिक्त तौर पर साक्षात्कार आयोजित कर अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी, लेकिन गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का प्रवेश पूरी तरह से CUET में हासिल अंकों पर निर्भर था। अदालत ने कहा, ‘(पहले का) फैसला अस्तित्व में है। हम नोटिस जारी करेंगे।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने सेंट स्टीफंस कॉलेज की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा और कहा कि इस समय मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है। सेंट स्टीफंस कॉलेज की ओर से पेश हुए वकील रोमी चाको ने कहा कि यह एक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है और प्रवेश के लिए छात्रों का चयन करने का अधिकार इसके पास उपलब्ध है।

5. *एलगार परिषद के वरवरा राव ने मांगी हैदराबाद जाने की अनुमति, कोर्ट ने कहा एनआईए की रिपोर्ट के बाद फैसला*

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से यह जांच करने के लिए कहा कि क्या तेलंगाना राज्य में एल्गार परिषद के आरोपी वरवरा राव को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है। उम्र से संबंधित कई चिकित्सीय जटिलताओं के कारण चिकित्सा आधार पर 2018 के मामले में ऑक्टोजेरियन वर्तमान में जमानत पर बाहर है।

वरवरा राव ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए तीन महीने के लिए हैदराबाद जाने की अनुमति के लिए अर्जी दाखिल की थी।

राव की ओर से पेश वकील आर सत्यनारायणन और नीरज यादव ने कहा कि वह मुफ्त इलाज के हकदार हैं और याचिका में तेलंगाना सरकार के प्रावधानों को जोड़ा गया है। सत्यनारायणन ने कहा, “याचिका में नियम संलग्न हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य में एक पेंशनभोगी 2 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का हकदार है।

राव के वकीलों ने तर्क दिया कि परीक्षण अभी शुरू होना था और मोतियाबिंद के पकने के कारण उनकी दृष्टि बिगड़ रही थी। उन्होंने तर्क दिया कि मुंबई में सर्जरी और ऑपरेशन के बाद की देखभाल महंगी है, जबकि तेलंगाना राज्य में पेंशन धारक के लिए यह मुफ्त है।

हालांकि, न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि राव की याचिका का सार वित्तीय पहलू था और अगर यह तथ्यात्मक रूप से गलत था, तो मामले की जटिलता बदल जाती है। इस प्रकार अदालत ने जोर देकर कहा कि एनआईए इस तथ्य को सत्यापित करे और 5 जून को पीठ को सूचित करे जब अदालत फिर से राव की याचिका पर सुनवाई करेगी।

सत्यनारायणन ने पहले सुनवाई का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा, “आपकी (राव की) दलीलों से ऐसा लगता है कि इसकी तत्काल आवश्यकता नहीं है। आप (राव) जमानत पर बाहर हैं। यदि आप जेल में होते तो यह अलग होता।”

यह भी पढ़ें : Government Senior Secondary School पंजाबी में अच्छे अंक लाने वाले विद्यार्थियों को लेक्चरर दर्शन सिंह ने बांटी डायरी और पैन

यह भी पढ़ें : ATM Card से रूपए निकलवाने आई महिला का कार्ड बदलकर खाते से हजारों रूपए उड़ाए

Connect With  Us: Twitter Facebook