Aaj Samaj (आज समाज), Action On Abdul Qadir For Urinate, भोपाल: वंदे भारत का वॉशरूम इस्तेमाल करना एक युवक को महंगा पड़ गया। युवक को इस गलती के लिए जुर्माने के तौर पर 1020 रुपए देने पड़े और यही नहीं, उसे भोपाल से सिंगरौली जाना था, लेकिन वो उज्जैन पहुंच गया। घटना 15 जुलाई की है।

भोपाल से सिंगरौली के बजाय उज्जैन पहुंचा

सिंगरौली निवासी अब्दुल कादिर परिवार सहित तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से आने वाली दक्षिण एक्सप्रेस से शाम करीब 5.30 बजे भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर उतरे। यहां से उन्हें ट्रेन से सिंगरौली जाना था। उधर स्टेशन के चार नंबर प्लेटफॉर्म पर इंदौर जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस खड़ी थी। अब्दुल टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए वंदे भारत ट्रेन में चढ़ गए। वह अंदर घुसे ही थे कि ट्रेन के दरवाजे लॉक हो गए। एक मिनट बाद ट्रेन इंदौर के लिए रवाना हो गई।

तमाम अपील के बाद भी ट्रेन नहीं रुकी

अब्दुल ने ट्रेन के स्टाफ को अपने बारे में बताया। उनकी तमाम अपील के बाद भी ट्रेन नहीं रुकी। उज्जैन आने पर ट्रेन रुकी तो वह उतरे। उन्हें 200 किलोमीटर का सफर कर वापस भोपाल आना पड़ा। अब्दुल कादिर ने बताया कि ट्रेन को रोकने के लिए टिकट जांच स्टाफ के अलावा ट्रेन में मौजूद आरपीएफ से भी रिक्वेस्ट की, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। अब्दुल ने कहा, मैं पेनल्टी तक भरने को तैयार था।

उन्होंने बताया कि उन्हें ब्लड प्रेशर रहता है, जिसके चलते बार-बार वॉशरूम जाना पड़ता है। अब्दुल के मुताबिक उस समय उनकी वाइफ और बेटे को तेज बुखार भी था। उन्होंने सभी से रिक्वेस्ट की, मगर किसी ने नहीं सुनी। वे दोनों रात भर स्टेशन पर अकेले पड़े रहे। अब्दुल का कहना है कि इमरजेंसी में तो प्लेन लैंड हो जाता है, लेकिन यहां ऐसा होना ठीक नहीं। इसके बाद उन्हें 1020 रुपए का जुर्माना भी देना पड़ा। अब्दुल ने बताया कि पत्नी और बेटे की तबीयत ठीक होने के बाद इस घटना को सोशल मीडिया के जरिए जिम्मेदारों तक पहुंचाने की कोशिश की है।

पूरे परिवार को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी : अब्दुल

अब्दुल ने कहा, निर्धारित समय से पंद्रह मिनट पहले ही उज्जैन पहुंचाने का कोई मतलब नहीं है। वंदे भारत ट्रेन में इमरजेंसी सिस्टम न होने की वजह से आर्थिक नुकसान और मानसिक प्रताड़ना पूरे परिवार को झेलनी पड़ी। जहां कहीं भी जान माल की हानि होने की आशंका हो वहां पर सुरक्षात्मक दृष्टि से इमरजेंसी सिस्टम तो जरूर होना चाहिए। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन को ऐसे कहीं भी नहीं रोका जा सकता है। यात्री की गलती है, क्योंकि वह उस ट्रेन में चढ़ा जिसका टिकट उनके पास नहीं था।

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