Acharya Satyendra Death: राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन

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Acharya Satyendra Death
Acharya Satyendra Death: राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का 83 वर्ष की उम्र में निधन
  • सरयू नदी के तट पर गुरुवार को होगा अंतिम संस्कार
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निधन पर जताया शोक
  • लखनऊ से पवित्र शहर ले जाया जा रहा है पार्थिव शरीर

Acharya Satyendra Das No More, (आज समाज), लखनऊ: अयोध्या के राम जन्म भूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। ब्रेन स्ट्रोक के बाद इस महीने की शुरुआत में उन्हें संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) लखनऊ में भर्ती करवाया गया था। संस्थान ने यह जानकारी दी है। अस्पताल ने बताया कि आचार्य सत्येंद्र दास गंभीर हालत में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) में भर्ती थे।

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मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे पुजारी

अस्पताल ने बताया कि पुजारी सत्येंद्र दास जी मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे। आज सुबह 7 बजे उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। आचार्य के शिष्य प्रदीप दास के अनुसार, अंतिम संस्कार गुरुवार को अयोध्या में सरयू नदी के तट पर होगा। पार्थिव शरीर को लखनऊ से पवित्र शहर ले जाया जा रहा है। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर पुजारी के आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्येंद्र दास जी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, यह एक अपूरणीय क्षति है।

20 साल की उम्र से आध्यात्मिक सेवा में जीवन लगाया 

आचार्य सत्येंद्र दास एक हिंदू महंत थे और वह 32 साल से रामजन्मभूमि में मुख्य पुजारी के तौर पर सेवाएं दे रहे थे। यानि सत्येंद्र दास 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले से राम मंदिर के मुख्य पुजारी थे। आचार्य सत्येंद्र दास निर्वाणी अखाड़े के सदस्य थे और उन्होंने 20 साल की उम्र से ही अपना जीवन आध्यात्मिक सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।

सबसे सुलभ संतों में से एक थे सत्येंद्र दास जी 

आचार्य सत्येंद्र दास जी अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे और मीडियाकर्मी अक्सर अयोध्या और राम मंदिर से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में जानकारी के लिए उनसे संपर्क करते थे। आचार्य सत्येंद्र दास बांग्लादेश में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका की निंदा करने वाले पहले हिंदू पुजारियों में से थे। इससे पहले, उन्हें 11 जनवरी को अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ मनाते देखा गया था।

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