Abu Dhabi’s job is not more important, the farmer movement is more important, he will stay here till he wins: आबू धाबी की नौकरी नहीं किसान आंदोलन ज्यादा जरूरी, जीतने तक वह यहीं रहेंगे

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नई दिल्ली। दिल्ली में किसानों का आंदोलन 29 दिनों से लगातार जारी है। किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और किसानों की मांग है कि सरकार अपना नया कानून रद करे। लेकिन सरकार की ओर सेकिसानों को कई बार वार्ता का प्रस्ताव दिया गया है। सरकार कानून में संशोधन के पक्ष में हैजबकि किसान चाहते हैं कि यह कानून पूरी तरह रद्द किया जाए। इस आंदोलन मेंयूएईकी एक कंपनी में काम करने वाले सतनाम सिंह भी शामिल है और वह अपनी नौकरी सेछुट्टी लेकर दो साल बाद घर आए थे। वह दो महीने की छुट्टी पर हैं। सतनाम सिंह नंवबर के आखिर में अपने घर जलंधर पहुंचे उनकी शादी होने वाली थी लेकिन यहां आकर उन्होंने अपने कार्यक्रम में बदलाव किया और सतनाम सिंह अब दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का हिस्सा हैं। उनके बड़े भाई और उसके गांव के किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बस उन्होंने भी निर्णय कर लिया कि वह अपने भाई और अपने गांव वालों के साथ किसान आंदोलन में भाग लेंगे और किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ेरहेंगे। अपनी शादी टालकर अब सतनाम सिंह किसाना आंदोलन मेंशामिल हो गए हैंऔर अब उनका कहना है कि जब तक यह लड़ाई जीती नहीं जाती तब तक वह अबू धाबी नहीं जाएंगे। उनका कहना है कि वह नौकरी करने से पहले किसान थे और सबसे पहले इसके लिए खडेÞहैं।