काशी अपनी पारंपरिकता और धार्मिकता के लिए जानी जाती है। घाटोंपर पूजा पाठ, आरती का आयोजन होना आम बात है। आए दिन यहां कईसांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन भी होते है। प्रशासन ने एकाएक घाटों पर पूजा-पाठ आरती पर टैक्स लगा दिया जिससे लोग बहुत खिन्न थे। वह इसका विरोध कर रहे थे। आज समाज ने इसमें अहम भूमिका निभाते हुए खबर चलाई और इसे ट्वीट किया, इसका इं म्पैक्ट यह हुआ कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी नेकहा कि किसी तरह का टैक्स अब नहीं लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार डा. तिवारी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से चर्चा कर घाटों पर पूजा-पाठ के लिए कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा लोग अपनी इच्छानुसार इच्छुक हो तो रजिस्ट्रेशन कराएं, अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं होगी।
गौरतलब है कि गंगा घाटों पर गंगा आरती के लिए आयोजकों से सालाना तथा गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ कराने, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडो से नगर निगम द्वारा शुल्क लिए जाने की घोषणा की गयी थी। जिसे संज्ञान देते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं नगर आयुक्त गौरांग राठी से फोन पर वार्ता कर इसे अव्यवहारिक बताते हुए इस पर तत्काल रोक लगाए जाने हेतु कहां है। मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहां की काशी एक धार्मिक नगरी है, पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा कराते हैं। ऐसी स्थिति में पंडो से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नही है।
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