Kangra News : कांगड़ा में खड्ड में बहने से व्यक्ति की मौत

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कांगड़ा में खड्ड में बहने से व्यक्ति की मौत
कांगड़ा में खड्ड में बहने से व्यक्ति की मौत

Kangra News (आज समाज), कांगड़ा : प्रदेश में भारी बारिश के चलते बरसाती नालों, नदियों और खड्ड का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इसके चलते जिला प्रशासन लोगों से लगातार अपील कर रहा है कि वे इन स्थानों से दूर रहें। लेकिन फिर भी लोग प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए जान जोखिम में डाल रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला कांगड़ा जिले के जवाली में सामने आया है। यहां देहर खड्ड में बकरियां चराकर लौट रहे एक व्यक्ति की बहने से जान चली गई। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश मे मानसून सीजन के पहले दस दिनों के दौरान सामान्य से 82 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। इस वहीं इस दौरान प्रदेश के किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर और ऊना जिला में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई। जिला मंडी में सबसे ज्यादा बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश में 27 जून को दक्षिण पश्चिम मानसून ने प्रवेश किया था। 27 जून से 6 जुलाई तक आठ जिलों बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन में बादल झमाझम बरसे।

बादल फटने की कम घटनाएं हुर्इं

इस साल अभी तक प्रदेशवासियों को इस बात से राहत है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल अभी तक बादल फटने की कम घटनाएं सामने आई हैं। इस साल मानूसन सीजन के दौरान अभी तक बिलासपुर में सामान्य से 58, चंबा में 90, हमीरपुर में 83, कांगड़ा में 166, कुल्लू में 83, मंडी में 234, शिमला में 121 और सोलन में 48 फीसदी अधिक बारिश दर्ज हुई। किन्नौर जिला में सामान्य से 24, लाहौल-स्पीति में 79, सिरमौर में 36 और ऊना में 10 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड हुई। उधर, एक से छह जुलाई के दौरान प्रदेश में सामान्य से 106 फीसदी अधिक बारिश हुई। प्रदेश में इस दौरान 72 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इस अवधि में 35 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना गया है।

लारजी और पंडोह डैम से पानी छोड़ा जा रहा

प्रदेश में हो रही बारिश के चलते प्रमुख नदियों और बांधों में पानी लगातार आ रहा है। इसी के चलते लारजी डैम से पानी छोड़ने के बाद पंडोह डैम भी पानी से लबालब हो रहा है। पंडोह डैम में पहुंच रहे पानी के हिसाब से ही छोड़ा जा रहा है। बीबीएमबी प्रबंधन के अनुसार पंडोह डैम में पानी की आवक 21,385 क्यूसेक प्रति सेकेंड है, जबकि 12,385 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। पानी की आवक बढ़ने का असर सीधा जल स्तर पर पड़ रहा है। इससे ब्यास तट पर बसे गांवों व आसपास रह रहे लोगों की चिंता भी बढ़ने लगी है।