आज समाज डिजिटल, लखनऊ
यह समय था अयोध्या का विवादित ढांचा गिरने का। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे कल्याण सिंह। घटना है छह दिसंबर 1992 की। साफ आदेश थे कार सेवकों को पर गोली नहीं चलाने के। इधर ढांचा गया उधर सीएम की कुर्सी।
दिग्गज नेता शिवराज सिंह तक कहते हैं कि कल्याण ने राम मंदिर के लिए सरकार जाने दी।
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह शनिवार रात हमें अकेला छोड़ गए। 89 साल की उम्र में कल्याण सिंह ने पीजीआई में अंतिम सांस ली। कल्याण सिंह एक लंबी राजनीतिक यात्रा के साक्षी रहे। कल्याण चाहते थे कि सरकार से इस्तीफा दे दिया जाए। उन्होंने अपने प्रोटोकॉल अफसर से कहा कि राजभवन जाना है, तैयारी कीजिए। अफसरों में उहापोह की स्थिति ये थी कि तत्कालीन राज्यपाल सत्यनारायण रेड्डी से मिलने के लिए कोई समय नहीं लिया गया था। दरअसल सत्यनारायण रेड्डी असमंजस की स्थिति में थे। वह यह तय नहीं कर पा रहे थे कि कल्याण से इस्तीफा लिया जाए या सरकार को बर्खास्त किया जाए। राज्यपाल इस संबंध में पीएम पीवी नरसिम्हा राव से राय लेने की कोशिश में थे, लेकिन जब तक बात हो पाती कल्याण कालिदास मार्ग के अपने घर से राजभवन की ओर बढ़ गए।
बिना समय लिए राजभवन पहुंच गए कल्याण
कल्याण की गाड़ियों का काफिला कुछ मिनट बाद राजभवन पहुंचा तो वहां अजीब सी स्थिति बन गई। राजभवन की मुख्य इमारत में मुस्कुराते हुए दाखिल हुए कल्याण सिंह ने अपने लेटरपैड का एक पेज राज्यपाल के हाथ पकड़ा दिया और अब तक मिले सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कागज पर लिखा था, ‘मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं, कृपया स्वीकार करिए।’ हालांकि कल्याण ने इस्तीफे में यह अनुरोध नहीं किया कि राज्यपाल विधानसभा को भंग कर दें।