राजनीति में नेता कभी रिटायर नहीं होता : लालू प्रसाद

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जेल से बाहर आने के बाद लालू यादव ने पहली बार दिया इंटरव्यू, कहा
बोले, हम गरीबों की हक की लड़ाई लड़ने के लिए पैदा हुए हैं
आज समाज नेटवर्क
पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने सोमवार को अपना 25वां स्थापना दिवस मनाया। पार्टी के लिए यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि फिलहाल लालू यादव जेल से बाहर हैं। स्थापना दिवस के मौके पर कई वर्षों बाद लालू यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। जेल से आने के बाद लालू यादव ने पहली बार मीडिया को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने पार्टी के भविष्य और साल 2024 के लोकसभा चुनावों पर अपनी बात रखी। इंटरव्यू में जब लालू यादव से पूछा गया कि वह राजनीति में फिर सक्रिय होंगे? तो बताया है कि एक नेता राजनीति से कभी रिटायर नहीं होता। मेरी राजनीति खेत खलिहानों से लेकर सामाजिक न्याय और आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को उठाने की रही है। हम गरीबों के हक की लड़ाई के लिए पैदा हुए हैं।

लालू से जब पूछा गया कि 2024 में मोदी के खिलाफ चेहरा कौन होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गांठ बांध लीजिए, जो भी चेहरा होगा, वह तानाशाही, अहंकार और आत्म मुग्धता से कोसों दूर होगा। पिछले 6 साल के शासन से यह तो तय हो गया है कि आत्म केंद्रित और व्यक्ति केंद्रित शासन लोकतंत्र की जड़ों को कभी मजबूत नहीं कर सकता।

क्या लालू और नीतिश फिर साथ आएंगे?

इस सवाल के जवाब में लालू यादव ने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल है। साल 2015 में हमने नीतिश के साथ तमाम अंतर्विरोधों को दरकिनार करके महागठबंधन की जीत सुनिश्तित की थी। लेकिन नीतीश ने पौने दो साल बाद ही उस अभूतपूर्व जनादेश के साथ क्या किया, इसका गवाह पूरा देश है। राजनीति में सिद्धांत, विचार, नीति, नियति और रीढ़ का महत्व नीतीश खो चुके हैं।
आप किंगमेकर माने जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर किस विकल्प पर काम करेंगे? इसके जवाब में लालू ने कहा कि इ किंगमेकर का होता है। इ मीडिया का दिया हुआ नाम है। पूरी तरह स्वस्थ होने पर उस जनता के पास जाऊंगा जिनके प्यार ने मेरी बनावट तय की है। अभी सबसे बड़ी जरूरत वैकल्पिक कार्यक्रम तय करने की है। परेशान-हाल गरीब-गुरबा, निम्न आय वर्ग और मध्यम वर्ग को अनिश्चतता के कुएं से निजात दिलाने के लिए एक साझा कार्यक्रम तैयार करना होगा। उससे ही सही विकल्प सामने आएगा।
बिहार के किसी कोने में जाकर किसी जात के आम परिवार से पूछिए। सत्ताधारी विधायकों से पूछिए। वो आज के महा-जंगल राज की हकीकत से रूबरू करा देंगे। कोई भी सरकार अपने कार्यकाल में हुए अपराध को जस्टिफाई नहीं कर सकती, लेकिन उस दौर में जंगल राज अलापने वाले अधिकांश वो लोग थे जिनका मेरे सत्ता में होने से प्रभुत्व कम या खत्म हो गया था। उन पंद्रह वर्षों (1990-2005) और पिछले पंद्रह वर्षों (2006-2021) के अपराध के सरकारी आंकड़ों की निष्पक्ष पड़ताल और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन कर लें, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
एक सवाल के जवाब में लालू ने कहा कि सामाजिक न्याय की इंजीनियरिंग नहीं होती तो क्या 40 सीट वाले नीतीश को आज 74 सीट वाली भाजपा मुख्यमंत्री बनाती। आज कई दलों में पिछड़ों और दलितों की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है तो ये उसी दशक के सामाजिक-राजनीतिक मंथन का नतीजा है।

संबोधन के दौरान रो पड़े लालू

राष्ट्रीय जनता दल के सिल्वर जुबली समारोह में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने 30 मिनट तक राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान यह कहते हुए लालू रो पड़े कि अगर तेजस्वी और राबड़ी नहीं होते, तो मैं रांची में ही खत्म हो जाता। वहीं, जनता से वादा करते हुए कहा कि जल्द पटना आएंगे और सभी से मुलाकात करेंगे। लालू के भाषण में चुनाव के दौरान जेल में रहने का मलाल भी नजर आया। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान वह जेल में तड़पते रहे गए, बाहर नहीं आ सके। हालांकि, तेजस्वी से उनकी बात होती रहती थी।