Raghunath Dham Mandir Panipat : सत के संग परमात्मा से जुड़ा रहना चाहिए, जिससे हमारे जीवन में आता है निखार : देवी चित्रलेखा 

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Raghunath Dham Mandir Panipat
  • हमें विचारों का, मुख का, बुराइयों का व्रत रखना है, जिससे शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही, मन भी शुद्ध बन जाएगा : बीके मोनिका 
Aaj Samaj (आज समाज),Raghunath Dham Mandir Panipat,पानीपत : सेक्टर -25 स्थित रघुनाथ धाम मंदिर में ब्रह्माकुमारिज़ द्वारा 88वीं महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में एक भव्य प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध श्रीमदभागवत कथा वाचक देवी चित्रलेखा मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची। मुख्य वक्ता सिवाह सेंटर संचालिका बी.के मोनिका और बी.के अंजना मुख्य अध्यक्षा के रूप में उपस्थित रहें। देवी चित्रलेखा के आगमन पर सेक्टर -25 सेंटर संचालिका बी. के अंजना ने उनका अभिनंदन श्री कृष्ण जी का पीला पटका पहना करके किया। बीके नीतू बहन ने मोतियों की सुंदर माला पहनाकर उनका स्वागत किया। वेद बांगा, सूरज दुरेजा, डॉ रमेश चुग, प्रीतम गुलाटी, विजय चौधरी, हिमांशु बांगा आदि भाई बहनों ने फूलों का गुलदस्ता और हनुमान जी की गदा देकर सम्मान किया। बीके अंजना, देवी चित्रलेखा, बी.के मोनिका ने प्रोग्राम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके किया।
वेद बांगा ने मंच संचालन किया।
बी .के मोनिका ने ओम शांति का अर्थ बताते हुए कहा कि ओम माना मैं आत्मा शांत हूं। जैसे गाड़ी में बैठने वाले ड्राइवर की सीट फिक्स होती है वो वही से बैठ कर पूरी गाड़ी को कंट्रोल करता है ऐसे ही हमारा शरीर गाड़ी और चलाने वाली आत्मा ड्राइवर हैं। परमात्मा जिसको प्रेम का सागर, शांति का सागर, आनंद का सागर कहा जाता हैं उसकी में संतान हूं। जैसे किसी बच्चे का पिता अगर टीचर है तो उसको नशा रहता है कि मेरा पिता टीचर हैं, ऐसे ही हमे भी नशा रहना चाहिए कि मैं परमात्मा की संतान शांत हूं। जब हम परमात्मा को याद करते हैं तो तो ऊपर की तरफ़ देखते हैं इसका अर्थ है कि वो ऊपर का रहने वाला है जिसका नाम हैं परमधाम। शिवरात्रि के दिन हम खाने पीने का व्रत तो रखते ही हैं लेकिन साथ साथ हमें विचारों का, मुख का, बुराइयों का भी व्रत रखना है, जिससे हमारा शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही और हमारा मन भी शुद्ध बन जाएगा। शिवरात्रि वाले दिन परमात्मा शिव के ऊपर अपनी पुरानी आदतें, पुराने संस्कार, पुरानी बातों को चढ़ाना हैं और सच्ची शिवरात्रि मनानी हैं।
देवी चित्रलेखा ने परमात्मा की महिमा करते हुए कहा कि जैसे दिवाली पर एक मीठा खिलौना आता है, जो मीठा रस से भरा हुआ होता हैं ऐसे ही हमारे प्रभु हैं वो भी पूरे के पूरे रस से भरे हुए हैं। उनका नाम भी रसमय हैं। उनकी बातें भी रसमय हैं। उनसे जो प्यार करते है वो भी रस से भरे हुए हैं। उदाहरण देते हुए कहा कि 2 पानी की बोतल है, दिखने में एक जैसी है बस फ़र्क़ इतना हैं एक भरी हुई है और एक ख़ाली हैं कहने का अर्थ यह है कि परमात्मा सागर है वो भरा हुआ है और हम ख़ाली हैं तो हमे अपने अंदर उनकी शक्तियों को भरना हैं। सत के संग परमात्मा से जुड़ा रहना चाहिए, जिससे हमारे जीवन में भी निखार आता हैं। अंत में सभी ने शिवरात्रि के उपलक्ष्य में शिवबाबा का झंडा लहराया और प्रसाद वितरित किया।