Taj Mahal की ज़मीन पर पहले किसका हक़ था?  

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल सिर्फ एक खूबसूरत इमारत नहीं, बल्कि इतिहास की एक अनमोल विरासत है।  

हर साल लाखों लोग इसकी एक झलक पाने के लिए भारत के आगरा शहर का रुख करते हैं। 

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ज़मीन पर ये शाहकार खड़ा है, वो पहले किसकी थी?

 इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि जहां आज ताजमहल खड़ा है, वो ज़मीन किसी मुग़ल शहंशाह की नहीं, बल्कि एक हिंदू राजा मिर्जा राजा जयसिंह की थी। 

जयसिंह आमेर के कछवाहा राजपूत शासक थे।

 इसका ज़िक्र मशहूर इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी की किताब ‘Shah Jahan: The Rise and Fall of the Mughal Emperor’ (निकोल 2018) में मिलता है। 

किताब के मुताबिक, जयसिंह ने खुद ताजमहल के निर्माण के लिए ये ज़मीन शाहजहां को दान में दी थी।

 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट भी यही कहती है कि ताजमहल की ज़मीन आमेर के कछवाहा राजपूतों की पुश्तैनी संपत्ति थी। 

यानी मुगल सम्राट शाहजहां ने उस ज़मीन पर ताजमहल तभी बनवाया जब उसे वैध रूप से जयसिंह से प्राप्त किया गया।