किसी की हाय क्यों नहीं लेनी चाहिए? जानें प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन

 लोग प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में अपने जीवन की उलझनों और परेशानियों का समाधान खोजने आते हैं।

 कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि "क्या सच में किसी की हाय (बद्दुआ) लगती है?"

इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने जो जवाब दिया, वह हर किसी के लिए जीवन का एक बड़ा सबक हो सकता है।

महाराज जी कहते हैं कि जिस परिवार में आप पैदा हुए हैं, वह सिर्फ संयोग नहीं है। यह आपके पूर्व जन्म के कर्मों और ऋण का परिणाम है।

जब तक आप उस परिवार का ऋण नहीं चुका देते, तब तक आप वहां से जा नहीं सकते।

जैसे कोई बच्चा जन्म के बाद पैसा खर्च कराना शुरू करता है, बड़ा होकर उद्दंड (बिगड़ैल) निकलता है, यह सब आपके कर्मों का ही फल होता है।

किसी को दुख देना सबसे बड़ा अपराध है। अगर किसी के दिल से बद्दुआ (हाय) निकलती है, तो वह सीधे असर करती है। हाय लगने पर व्यक्ति को इस जन्म में ही उसका दंड भुगतना पड़ता है।

अगर कोई कहता है – 'भोगोगे तुम', तो इसका मतलब है कि आपको उसका परिणाम भोगना ही पड़ेगा।

दिल से निकली हुई बद्दुआ (शाप) कभी बेअसर नहीं होती, वह व्यक्ति को किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचाती है।

बचने का उपाय क्या है? किसी को दुख न दें, किसी की बद्दुआ न लें। किसी से न ज्यादा लेना, न ज्यादा देना। भगवान की भक्ति में मग्न रहें, क्योंकि वही हर समस्या का समाधान है।