सर्दियों में 99% बढ़ जाता है इस जानलेवा रोग का खतरा, जानें लक्षण और उपाय

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देश में लगभग सात करोड़ व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं और लगभग इतनी ही संख्या में हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्हें इस समस्या के बारे में पता ही नहीं। देश के शहरी क्षेत्रों में लगभग 20 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 10 प्रतिशत लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त हैं। आय में वृद्धि के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर के मामलों में भी वृद्धि हुई है। 60 से 69 वर्ष की आयु के 50 प्रतिशत और 70 वर्ष की आयु के 75 प्रतिशत लोगों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले सामने आए हैं। बहरहाल, 35 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से रक्तचाप(ब्लड प्रेशर) की जांच करवाते रहें और यदि ब्लड प्रेशर बढ़ा है,तो शीघ्र ही इसका इलाज करवाएं।

समस्या का स्वरूप

जब व्यक्ति दौड़ता-भागता है या कठोर शारीरिक श्रम करता है,तब दिल की धड़कन बढ़ जाती है। जब हृदय खून को बाहर पंप करता है, तब इसे ले जाने वाली धमनियों(आर्टरीज) में दबाव बढ़ जाता है। हृदय जब सिकुड़ता है,तो धमनियों पर अधिकतम दबाव पड़ता है। एक सामान्य व्यक्ति में सिस्टोलिक दबाव 120 और डायस्टोलिक दबाव 80 होता है, जिसे 120/80 मि.मी. लिखा जाता है। जब हृदय तेजी से धड़कता है, तब धमनियों में रक्तचाप बढ़ जाता है और वह सामान्यत:120/150 मि.मी. मर्करी तक पहुंच जाता है। प्रत्येक बार जब धड़कनों के बीच हृदय फैलता है,तो ब्लड प्रेशर भी 80/90 मि.मी. मर्करी के स्तर तक आ जाता है।

जब ब्लड प्रेशर लगातार140/90 मि.मी. मर्करी से ऊपर बना रहता है, तो उस स्थिति को हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। दिल्ली में ही 40 हजार रजिस्टर्ड मरीजों में से लगभग 15 प्रतिशत हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त हैं। मुंबई में एक सर्वेक्षण से पता चला कि 20 साल से अधिक उम्र वाले 6 हजार व्यक्तियों में लगभग 12 प्रतिशत लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं।

कारणों को जानें

लगभग दो-तिहाई मामलों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण निश्चित रूप से मालूम नहीं हो पाता। इसे इसेंसियल हाई ब्लड प्रेशर भी कहते हैं। कुछ कम उम्र के लोगों में ब्लड प्रेशर बढ़ने के कई कारण हैं। जैसे किडनी की खराबी, किडनी के ऊपर एड्रीनल ग्रंथि होती है। यदि इसके रासायनिक तत्व रक्त में अधिक मात्रा में मिल जाएं, तो रक्तचाप बढ़ जाता है। किडनी में संक्रमण की स्थिति में भी ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है। जिन परिवारों के सदस्यों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन परिवारों के लोगों में दूसरों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त होने की आशंका अधिक रहती है।

मानसिक तनाव लगभग 80 प्रतिशत लोगों में ब्लड प्रेशर का कारण बनता है। सामान्यत:प्रत्येक स्त्री-पुरुष में मानसिक तनाव के कारण खून का दबाव बढ़ जाता है। ऐसे व्यक्तियों को मानसिक तनाव से बचना चाहिए।मोटापा भी हाई ब्लड प्रेशर का एक मुख्य कारण है। मोटे व्यक्तियों की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल वसा के रूप में अधिक मात्रा में जमा हो जाता है, जिससे वे संकरी हो जाती हैं और रक्त का दबाव बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर के कुछ विशिष्ट कारणों की भी पहचान हुई है। जैसे गर्भ-निरोधक गोलियों का सेवन करनेवाली महिलाओं का ब्लड प्रेशर भी बहुत बढ़ जाता है और गर्भनिरोधक दवाओं को छोड़ देने से ब्लड प्रेशर सामान्य स्तर पर आ जाता है।

बचाव और इलाज

  • कड़ाके की ठंड में हाई ब्लड प्रेशर वाले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। मौसम को देखते हुए डॉक्टर आपकी दवा की डोज को नए सिरे से निर्धारित कर सकते हैं।
  • सर्दियों में अपने तन को ऊनी वस्त्रों से ढककर रखें।
  • असहज महसूस करने पर अपने ब्लड प्रेशर को चेक करें या करवाएं
  • हाई ब्लड प्रेशर का स्थाई इलाज नहीं है। हां, इसे खानपान में सुधार,स्वस्थ जीवन-शैली पर अमल कर और दवाओं द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। जब एक बार पता चल जाए कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर से इसकी
  • नियमित जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर जो दवा सुझाएं, उन्हें नियमित रूप से लें।
  • हाई ब्लड प्रेशर की अवस्था में दो बातों पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है। धूम्रपान की लत और कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना दिल के दौरे का कारण बनता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।
  • मानसिक तनाव भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का एक बड़ा कारण है। इसलिए तनाव को स्वयं पर हावी न होने दें।
  • हाई ब्लड प्रेशर वाले यदि खानपान में संयम बरतें, तो वे दिल के दौरे, लकवा, किडनी की बीमारी आदि से बचाव कर सकते हैं।
  • हाई ब्लड प्रेशर वालों को खाने में नमक की मात्रा 3.4 ग्राम प्रतिदिन लेनी चाहिए यानी केवल आहार में आधा चम्मच नमक (छोटा चम्मच) कम कर देने से ही हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।

युवा वर्ग भी गिरफ्त में

सच तो यह है कि युवा वर्ग में ही नहीं बल्कि बच्चों और किशोरों में भी हाई ब्लडप्रेशर से संबंधित मामले सामने आ रहे हैं। इधर टेलीविजन, वीडियोगेम्स, कंप्यूटर और स्मार्ट फोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण बच्चों की आउट डोर गेम्स में दिलचस्पी काफी कम हो चुकी है। इस स्थिति में वे खाते बहुत हैं, पर उनकी कैलोरी बर्न नहीं हो पाती। इस कारण तमाम बच्चे और किशोर-किशोरियां मोटापे से ग्रस्त हो रहे हैं। इसके अलावा बच्चों पर पढ़ाई के बोझ के अलावा उनके अभिभावक उनसे अपेक्षाएं भी बहुत ज्यादा रखने लगे हैं। इस कारण वे तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनका ब्लडप्रेशर सामान्य से असामान्य हो सकता है। किशोर और युवक-युवतियां जब तनाव के कारण स्वयं को असामान्य महसूस करें, तो उन्हें अपने डॉक्टर के परामर्श के अनुसार अमल करना चाहिए।