उच्च रक्तचाप से ग्रस्त महिलाओं में से 80 प्रतिशत मोटापे की शिकार, उनमें से 67 प्रतिशत में कमर नितंब अनुपात (डब्ल्युएचआर) अधिक है: अध्ययन

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80 percent of women with high blood pressure are obese

पुरुष (37 प्रतिशत) महिलाओं (23 प्रतिशत) की तुलना में तनाव में अधिक पाए गए

आज समाज डिजिटल,नई दिल्ली:

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, भारत में होने वाली कुल मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) हृदय रोगों (सीवीडी) के कारण होती हैं। और जोखिम धीरे-धीरे बढ़ रहा है, खासकर युवा आबादी में। हाल ही में, यह भी सामने आया है कि कमर नितंब का उच्च अनुपात (डब्ल्यूएचआर), उच्च रक्तदाब और मोटापा महिलाओं में सीवीडी के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण बन गए हैं। भारतीय आबादी में मोटापे, उच्च रक्तचाप और कमर नितंब अनुपात और सीवीडी के बीच संबंध के बढ़ते प्रमाणों को सामने लाने के लिए और उन्हें निवारक जांच द्वारा इसकी शीघ्र पहचान के बारे में शिक्षित करने के लिए, इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) ने हील फाउंडेशन के सहयोग से एक अध्ययन किया है। यह अध्ययन युवाओं में हृदय रोगों की रोकथाम: कमर नितंब अनुपात (डब्ल्यूएचआर), उच्च रक्तदाब, बीएमआई और सीवीडी के मध्य संबंध के बढ़ते प्रमाण, विषय पर किया गया।

अस्पतालों के मरीजों में से 1599 उत्तरदाताओं ने भाग लिया

अध्ययन में आवासीय सोसायटियों (आरडब्ल्यूए) और अस्पतालों के मरीजों में से 1599 उत्तरदाताओं ने भाग लिया। अस्पतालों से 1103 और आवासीय सोसायटियों (आरडब्ल्यूए) से 496 उत्तरदाता थे। अध्ययन में 68 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिला प्रतिभागी थे। प्रतिभागियों के सैंपल डायग्नोस्टिक परीक्षण के परिणाम आईएचएल के डिजिटल कियोस्क/हेल्थ एटीएम से एकत्र किए गए थे। परीक्षण मापदंडों में प्रतिभागियों की जनसांख्यिकी, लिंग, आयु, बीएमआई, बीपी और उच्च कमर हिप अनुपात (डब्ल्यूएचआर) शामिल थे। अध्ययन से पता चला है कि कुल आबादी का लगभग आधा (48 प्रतिशत) या तो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त है या जोखिम में है, और 30 प्रतिशत में उच्च कमर नितंब अनुपात (डब्ल्यूएचआर) है, जो समय के साथ सीवीडी की शुरुआत के शुरुआती संकेत को दर्शाता है। हालांकि, महिलाओं के साथ पुरुषों की तुलना करते समय, महिलाओं (23 प्रतिशत) की तुलना में अधिक पुरुष (37 प्रतिशत) तनावग्रस्त पाए गए। लेकिन उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों में से, 67 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 80 प्रतिशत महिलाएं मोटापे की शिकार/मोटी या अधिक वजन वाली थीं। इसके अलावा, उच्च डब्ल्यूएचआर वाले केवल 28 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 67 प्रतिशत महिलाओं में उच्च डब्ल्यूएचआर था।

48 प्रतिशत लोग या तो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं या उच्च रक्तचाप से  

बढ़ते उच्च कमर नितंब अनुपात (डब्ल्यूएचआर), मोटापे, उच्च रक्तचाप और सीवीडी की घटनाओं के बीच संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ एच के चोपड़ा, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, मेदांता मूलचंद हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली अध्यक्ष, सीएमई, मूलचंद मेडिसिटी, नई दिल्ली वर्ल्ड हार्ट एकेडमी के अध्यक्ष, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, सीएसआई, आईएई ने कहा, “मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसे मेटाबोलिक सिंड्रोम सीवीडी के मामलों के जोखिम से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं; हालांकि, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कमर हिप अनुपात (डब्ल्यूएचआर) भी सीवीडी की शुरुआत का एक मजबूत संकेत है। उच्च कमर नितंब अनुपात (डब्ल्यूएचआर), बीपी, बीएमआई और सीवीडी के मध्य संबंध के बढ़ते प्रमाणों पर जो हाल में हुए अध्ययन में उभरकर आए हैं उन्हें प्रस्तुत करते हुए, इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) के संस्थापक और सीईओ डॉ सत्येंद्र गोयल ने कहा, “अध्ययन से पता चला है कि कमर नितंब अनुपात, बीएमआई और बीपी में वृद्धि और युवा आबादी में सीवीडी के बढ़ती मामलों के बीच एक मजबूत संबंध है। लेकिन अध्ययन में, यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत उच्च रक्तचाप वाली महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं, और उनमें से 67 प्रतिशत में उच्च कमर नितंब अनुपात है। और कुल मिलाकर, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हृदय संबंधी समस्याओं का पता नहीं चलने का खतरा अधिक पाया गया।”

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं का पता नहीं चलने का जोखिम 

डॉ गोयल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “अध्ययन के उत्तरदाताओं के रूप में अस्पतालों और आवासीय सोसायटियों (आरडब्ल्यूए) के लोग थे, सोसायटी के निवासियों में उच्च रक्तचाप और मोटापे का प्रसार अस्पतालों के मरीजों के समान ही अधिक था। इसलिए, अध्ययन से जो निष्कर्ष निकलता है, वह यह है कि सीवीडी की घटनाओं की दर को कम करने के लिए, व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है और सभी उम्र की महिलाओं और पुरुषों को नियमित निवारक जांच की आदत डालनी होगी, चाहे उनकी पेशेवर स्थिति कुछ भी हो। निष्क्रिय जीवन शैली का हृदय रोगों के शुरुआती विकास पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिसपर तब तक किसी का ध्यान नहीं जाता जब तक कि यह गंभीर न हो जाए। इस प्रकार, अध्ययन से पता चलता है कि लगातार उच्च रक्तचाप और मोटापे के साथ उच्च डब्ल्यूएचआर सीवीडी के बढ़ते मामलों और युवा भारतीय आबादी में समय से पहले दिल के दौरे के मामलों के प्रमुख कारण हैं, ”

निवारक जांच के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके महत्व के बारे में जनता को शिक्षित करने की आवश्यकता

डॉ एच के चोपड़ा, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, मेदांता मूलचंद हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली अध्यक्ष, सीएमई, मूलचंद मेडिसिटी, नई दिल्ली, अध्यक्ष, वर्ल्ड हार्ट अकादमी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, सीएसआई, आईएई ने कहा, “हाल ही में, इंडिया हेल्थ लिंक द्वारा किए अध्ययन ने कमर नितंब अनुपात, बीएमआई और बीपी में वृद्धि और युवा आबादी में सीवीडी की बढ़ते मामलों के मध्य एक मजबूत संबंध सामने लाया है, जो सीवीडी के मामलों में प्रमुख योगदान देता है। भारतीयों को अपनी निवारक देखभाल को प्राथमिकता देने और प्रारंभिक जांच के लिए जाने की आदत नहीं है; इसलिए ऐसी कई रोकथाम योग्य बीमारियों का जल्द निदान नहीं किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बीमारी का बोझ बढ़ जाता है। हमारे समाज में हृदय स्वास्थ्य और अन्य मेटाबोलिक विटल्स (चपापचय से संबंधित महत्वपूर्ण अंगों) के साथ इसके संबंध के बारे में जागरूकता की कमी है। हमें निवारक जांच के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके महत्व के बारे में जनता को शिक्षित करने की आवश्यकता है। हाल ही में, एटीएम आकार के पोर्टेबल डिजिटल निवारक स्वास्थ्य जांच उपकरण भारत में उपलब्ध हैं, जिन्हें सीवीडी की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए निवारक जांच के लिए देश भर में समाज के विभिन्न स्तरों पर प्रचारित करने की आवश्यकता है। ”

बीपी बढ़ने के कारण युवा आबादी में सीवीडी का उच्च जोखिम

हृदय स्वास्थ्य के लिए निवारक जांच के महत्व पर जोर देते हुए, डॉ सोनिया रावत, निदेशक, निवारक स्वास्थ्य और कल्याण विभाग, सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली ने कहा, “कमर नितंब अनुपात, बीएमआई और बीपी बढ़ने के कारण युवा आबादी में सीवीडी का उच्च जोखिम है, जो आईएचएल के अध्ययन से पता चलता है, यह युवाओं के हृदय स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक तस्वीर प्रस्तुत करता है। सीवीडी की बढ़ती घटनाओं के पीछे प्रमुख कारण लोगों में निवारक देखभाल के बारे में ज्ञान की कमी है। इसलिए, सभी के लिए, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जिन्हें बिना निदान हृदय संबंधी समस्याओं का अधिक खतरा है, नियमित रूप से निवारक जांच कराना चाहिए।

 

इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) के बारे में

इंडिया हेल्थ लिंक ने अपने उन्नत फिजिटल (भौतिक + डिजिटल) ‘आईएचएल केयर’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी तरह का पहला कनेक्टेड ‘मानव-केंद्रित’ हेल्थकेयर इकोसिस्टम ((स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र)) पेश किया है, जिसमें एक पुरस्कृत, मेड-इन इंडिया हेल्थ पॉड ‘एच-पॉड’ शामिल है। आईएचएल हेल्थ पॉड एक नान-इवेसिव डिजिटल-एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है जो प्राथमिक, निवारक और भविष्यसूचक स्वास्थ्य सेवा को सक्षम बनाता है। यह एक स्व-सेवा, वॉक-इन हेल्थ पॉड है जिसमें व्यक्ति 5 मिनट के भीतर बीपी और ईसीजी सहित 20 से अधिक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों के लिए अपनी जांच करवा सकता है, इसके बाद बिना किसी पराचिकित्सक सहायता के तत्काल रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। हेल्थ पॉड कॉरपोरेट वेलनेस और हार्ट हेल्थ वेलनेस का पूरक है, जो कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य और निवारक देखभाल के लिए विशेष पैकेज उपलब्ध कराता है। अधिक जानने के लिए https://indiahealthlink.com/index.html पर जाएं।

 

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