नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
बसई के ग्रामीणों का धरना आमरण अनशन चौथे दिन सोमवार को भी शहर के डॉ. भीमराव अंबेडकर चौक पर जारी रहा। आमरण अनशन पर बैठे करीब 65 वर्षीय शैतान सिंह की तबियत गिरने लगी है। बीती रात को भी तबियत खराब होने पर उसे उपचार के लिए ले जाने को लेकर एंबुलेंस पहुंची परंतु अनशन पर बैठे शैतान सिंह ने पहले गांव की समस्याओं के समाधान की बात कहते हुए अस्पताल जाने से मना कर दिया। इसके बाद सोमवार शाम को फिर से अस्पताल की टीम ने अनशन पर बैठे शैतान सिंह के स्वास्थ्य की जांच की। उधर ग्रामीणों ने बताया कि तीन दिन बाद प्रशासनिक अधिकारियों की नींद खुली है। अब प्रशासन की टीम गांव की समस्याओं का निरीक्षण करने पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि आमरण अनशन के दौरान यदि किसी के साथ अनहोनी घटना होती है तो उसका जिम्मेदार संबंधित विभाग व जिला प्रशासन होगा।
मूलभूत सुविधाओं के लिए धरना-प्रदर्शन व आमरण अनशन करना सरकार व जिला प्रशासन के लिए सोचने का विषय
धरने को समर्थन देने पहुंचे पूर्व जिला प्रमुख सुरेन्द्र कौशिक ने कहा कि गांव बसई के ग्रामीण जिन समस्याओं को लेकर धरने पर बैठे हैं, उन्हें संबंधित विभाग को काफी पहले ही समाधान कर देना चाहिए था। गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को धरना-प्रदर्शन व आमरण अनशन करना पड़ रहा है यह सरकार व जिला प्रशासन के लिए सोचने का विषय है। ऐसी ही समस्याएं अन्य गांवों में भी है परंतु अधिकारियों की अनदेखी के चलते लोगों की परेशानियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बसई के ग्रामीणों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार व जिला प्रशासन को शीघ्र ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। धरने पर बैठे ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत से कर्मचारी ग्राम पंचायत के खातों से सरकारी पैसों का गबन करने में लगे हैं जब तक इसकी निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
ये है गांव की समस्याएं
पंचायत के खाते से बिना कोई काम किए जो पैसे निकाले गए हैं, उनकी जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। पिछले कई वर्षों से न तो जोहड़ की सफाई हुई और जोहड़ की सभी दीवारें भी गिरी हुई हैं, पानी पूरी एससी बस्ती में भरा रहता है जिसकी वजह से लोगों का जीवन नर्क बना हुआ है। पूरे गांव की नालियों का पानी जोहड़ में आता है और जोहड़ ओवर फ्लो होने के बाद सारा पानी महल मेला खेल ग्राउंड और आसपास की पूरी बस्ती में भरा रहता है पानी निकासी का कोई प्रबंध नहीं हुआ है। गांव में फैली बीमारी से पशुओं व आदमियों की जान को खतरा है। पीएचसी की पूरी बिल्डिंग 10 साल से क्षतिग्रस्त है, डॉक्टर बैठने की भी जगह नहीं है जिस कारण डॉक्टर किसी किराए की दूसरी जगह पर बैठ रहे हैं जो सरकार के लिए शर्म की बात है।
पूरी तरह से खत्म हो चुका है आयुर्वेदिक अस्पताल
आयुर्वेदिक अस्पताल पूरी तरह से खत्म हो चुका है, ग्रांट पास होने के बावजूद कोई काम नहीं हुआ है। गांव में सफाई कर्मियों की कमी होने की वजह से पूरे गांव की नालियां गंदगी से भरी रहती हैं, जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, लोग अपने पैसों से तेल डलवा कर काम करवा रहे हैं। आकोदा सेहलंग रोड से गांव के मोहल्ला घाटी से होकर माता भगवती के प्रसिद्ध मंदिर में जाट-पाली के अंदर यूनिवर्सिटी को जोड़ने वाली फिरनी सिर्फ कागजों में ही है, धरातल पर ऐसा कोई रास्ता नहीं है। आने-जाने के लिए लोगों ने चंदा इकट्ठा करके एक पतला सा रास्ता निकाल रखा है जिसमें कोई साधन नहीं आ जा सकता है इसकी जांच करवा कर काम किया जाए। गांव में हमेशा बिजली की समस्या बनी रहती है, जगमग योजना आने के बाद भी बिजली विभाग कोई काम नहीं कर रहा है। ग्रामीण चाहते हैं प्रशासन व सरकार एक जांच दल बनाए जो गांव के अंदर सिर्फ कागजों में कंप्लीट हुए विकास कार्यों की जांच करें जो आज तक धरातल पर कभी शुरू ही नहीं हुए हैं। इस मौके पर सतबीर यादव, राकेश तंवर, सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रपाल, सुनील कुमार, जोगेन्द्र फौजी, लालसिंह ठेकेदार, जयपाल वकील, बिल्लु बादशाह, बजरंग सिंह, दलिप शेखावत, सोनू तंवर, चाप सिंह, सुबेदार रतिराम नंबरदार सहित अन्य लोग भी धरने को समर्थन देने पहुंचे।
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