60 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया की चपेट

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लखनऊ। करीब 60 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी यानि एनीमिया की चपेट में होती हैं। इसकी वजह से प्रसव के दौरान तमाम गर्भवती महिलाओं की मृत्यु हो जाती हैं। पुरुषों में आयोडीन की कमी से घेंघा समेत दूसरी बीमारी पनप रही है। इस तरह की परेशानी को टालने के लिए आयोडीन युक्त नमक में आयरन की डोज को भी शामिल किया जाएगा। ताकि नमक की खुराक से घेंघा और एनीमिया से लड़ाई लड़ी जा सके। यह जानकारी दिल्ली एम्स के डॉ. उमेश कपिल ने दी।
शुक्रवार को सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर में इंडियन पब्लिक एसोसिएशन की तरफ से आयोजित 62 वीं वार्षिक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. उमेश कपिल ने कहा कि 50 से 60 प्रतिशत महिलाओं के शरीर में खून की कमी रहती है। इसका खामियाजा गर्भावस्था के दौरान भुगतना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त आयरन की गोलियां उपलब्ध कराई जा रही है। इसके बावजूद महिलाएं उसे खाने में परहेज करती हैं। उन्होंने कहा कि इस परेशानी से निपटने के लिए नमक में आयोडीन के साथ आयरन की खुराक भी मिलाई जाएगी। ताकि दोनों चीजे लोगों को पर्याप्त मात्रा में मिल सकें। पहले चरण के तहत 20 राज्यों को चुना गया है। इन राज्यों के एनीमिया व आयोडीन प्रभावित जिलों का चयन किया जाएगा।
नेशनल हेल्थ मिशन के महाप्रबंधक डॉ. एके वर्मा ने कहा कि शिशुओं की मृत्युदर में कमी लाने की दिशा में अहम कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में चार बेड की न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट स्थापित की जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश की 160 सीएचसी में यूनिट स्थापित की जा चुकी है। 40 सीएचसी में यूनिट और स्थापित की जाएगी।
डॉ. एके वर्मा ने कहा कि सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) भी स्थापित की जा रही हे। अभी 76 अस्पतालों में एसएनसीयू का संचालन हो रहा है। 10 अस्पतालों में और यूनिट बनाई जा रही है। इसमें अमेठी, फतेहपुर, शामली जिलों को शामिल किया जा रहा है। ताकि शिशुओं की मृत्युदर में कमी लाई जा सके। केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि संक्रामक बीमारियों का कहर बढ़ता जा रहा है। साफ-सफाई रखकर संक्रामक बीमारियों से बच सकते हैं।