Haryana News: हरियाणा में डेंगू के 4000 मामले आए सामने

0
11

अब तक 3 मरीजों की हो चुकी मौत
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में हर रोज व्यापक पैमाने पर डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। डेंगू के नए मामलों में जहां पंचकूला जिला सबसे ऊपर है तो जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाले कई जिलों में डेंगू के केस लगातार रिपोर्ट हो रहे हैं जिसके चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है। पंचकूला और हिसार सहित हरियाणा प्रदेश में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, हिसार व पंचकूला हॉट स्पॉट सेंटर बन गए हैं। हिसार के अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में डेंगू के कारण एक युवक की मौत हो चुकी सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हिसार, पंचकूला, गुरुग्राम, करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत व फरीदाबाद जिले हैं।

ये भी बता दें कि अगर किसी मरीज को प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट कराना है तो उसकी कीमत सरकार ने 600 रुपये तय कर रखी है। सरकारी अस्पताल में डेंगू का टेस्ट मुफ्त किया हुआ है, अगर किसी मरीज को प्लेटलेट्स की कमी होती है तो उसकी कीमत 11 हजार रुपये है. वहीं, सरकारी अस्पताल में मुफ्त में मिलती है। डेंगू के बढ़ते केसों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सैंपलिंग तेजी से शुरू कर दी है।डेंगू के साथ वायरल भी बढ़ रहा है और डेंगू केस मिलने की सूचना नगर निगम को भी भेजी जाती है।

साल 2021 में आए सबसे ज्यादा 11836 केस

साल 2015 में प्रदेश में कुल 9921 डेंगू के केस आए थे। वहीं साल 2016 में 2494 केस रिपोर्ट हुए। इसके बाद 2017 में 4550 और 2018 में नए मामलों में व्यापक स्तर पर कमी दर्ज की गई। इस साल बीमारी के कुल 1936 मामले रिपोर्ट हुए। फिर साल 2020 में 1377 केस कंफर्म हुए। इसके बाद साल 2021 में डेंगू के मामलों में कई गुना इजाफा हुआ है और एक साल की अवधि में 11836 मामले कंफर्म हुए। फिर अगले साल 2022 में 8996 नए केस आए। 2023 में 8081 मामले आ चुके हैं। इस साल अब तक 4 हजार से ज्यादा मामले रिपोर्ट हो चुके हैं।

10 साल में 48 लोगों की डेंगू से हो चुकी मौत

हरियाणा में बीमारी से अब तक 4 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि ज्यादा लोगों की मौत बीमारी से हुई है लेकिन विभाग द्वारा कुछ मौत को संदिग्ध मौत की कैटेगरी में रखा है। वहीं ये भी बता दें कि हरियाणा में पिछले साल 2022 में बीमारी से सबसे ज्यादा 18 लोगों की मौत हुई थी वहीं 2015 में बीमारी ने 13 लोगों की जान ले ली। 2016 से लेकर साल 2020 तक 5 साल की अवधि में बीमारी से कोई मौत नहीं हुई है। साल 2015 से लेकर 2023 तक 9 साल की अवधि में कुल 44 लोगों की मौत हई है। इस लिहाज से हर साल औसतन 5 से ज्यादा लोगों की मौत बीमारी के चलते हुई है। वहीं साल 2024 में अब तक चार मरीजों की मौत बीमारी से हो चुकी है।

महामारी की श्रेणी में डेंगू

हरियाणा में प्रचलित सभी चार वीबीडी को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत 31 मार्च 2027 तक अधिसूचित किया गया है और सभी निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अधिसूचना जारी कर दी गई है कि वे प्रत्येक मामले की जानकारी पता लगने के 24 घंटे के भीतर स्वास्थ्य अधिकारियों को दें। मलेरिया के निदान के लिए सभी जिलों में घर-घर जाकर बुखार की निगरानी तेज कर दी गई है। मई से अक्टूबर तक हर महीने की 1 से 10 तारीख तक मलेरिया के लिए बुखार के मामलों की जांच के लिए सभी गांवों में रैपिड फीवर सर्वे किया गया। सभी जिलों में डेंगू की जांच को मजबूत किया गया है। सीएचसी/पीएचसी स्तर पर भी रक्त के नमूने लेने शुरू कर दिए गए हैं, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

राज्य में डेंगू जांच की 27 लैब

राज्य में कुल 27 डेंगू जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, जिनमें से प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अनुशंसित डेंगू जांच (एलिसा आधारित एनएस1/आईजीएम) के लिए अधिकतम 600 रुपये शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों के लिए नि:शुल्क सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में, राज्य में कुल 7 प्लेटलेट एफेरेसिस सुविधाएं कार्यरत हैं (सिविल अस्पताल पंचकूला, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद, पीजीआईएमएस रोहतक, केसीजीएमसी करनाल और बीपीएसजीएमसी खानपुर कलां, सोनीपत)। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों को निजी ब्लड बैंकों से नि:शुल्क एसडीपी प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है, जिसका खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। राज्य के निजी अस्पतालों में कुल 72 एफेरेसिस मशीनें कार्यरत हैं। डेंगू मरीजों के लिए सिविल अस्पतालों में 196 वार्ड और 1022 बिस्तर आरक्षित रखे गए हैं।

103485 लोगों को नोटिस जारी

शहरी स्थानीय निकाय और पंचायत विभाग द्वारा फॉगिंग का कार्य किया जाता है। राज्य में कुल 5606 हस्तचालित और 43 वाहन-चालित फॉगिंग मशीनें उपलब्ध हैं। गम्बूसिया मछली को मदर फिश हैचरी से जलाशयों में छोड़ा जा रहा है। कुल 9093 जलाशयों की पहचान की गई है और लगभग 8459 में गम्बूसिया डाला गया है। राज्य में कुल 116 मदर हैचरी उपलब्ध हैं। टेमेफोस लार्विसाइड का उपयोग पानी के कंटेनरों में किया जा रहा है जिन्हें खाली नहीं किया जा सकता। राज्य में नगरपालिका उप-नियम (वीबीडी पर नियंत्रण)-2010 लागू है जिसके तहत 15 सितंबर 2024 तक उन परिसरों के मालिकों को लगभग 103485 नोटिस जारी किए गए हैं जहां मच्छरों का प्रजनन पाया गया है।

यह भी पढ़ें : ग्रामीण क्षेत्रों में 2 घंटे व शहरी क्षेत्रों 1 घंटे में बदला जाए खराब ट्रांसफार्मर: अनिल विज