एजेंसी , नई दिल्ली। महाराष्टÑ में शिवसेना और भाजपा ने गठबंधन में पांच साल सरकार चलाई उसके बाद 2019 के विधानसभा चुनावों में भी गठबंधन में रहे लेकिन विधानसभा चुनाव होने के बाद मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर दोनों पक्षों में मनमुटाव हुआ और शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का साथ चुन लिया। हालांकि शिवसेना एक हिंदुवादी पार्टी है जबकि एनसीपी और कांग्रेस की विचारधारा बिल्कुल अलगर। तीनों पार्टियों ने तमाम राजनीतिक ड्रामों के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सरकार बनाई है। लेकिन लगता है कि शिवसेना का यह कदम कुछ शिवसैनिकों को पसंद नहीं आया। बुधवार को मुंबई के धारावी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लगभग 400 शिवसेना कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए।
महाराष्ट्र विधानसभा में रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच जुबानी जंग देखने को मिली। इस दौरान ठाकरे ने फडणवीस के चुनाव से पहले किए गए दावे मी पुन्हा येईं (मैं वापस लौटूंगा) पर कटाक्ष किया। साथ ही कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बावजूद शिवसेना हिंदुत्व की विचारधारा से नहीं हटेगी। महाराष्ट्र भाजपा विधायक दल के नेता फडणवीस को रविवार को विधानसभा में नेता विपक्ष बनाया गया। फडणवीस को मित्र बताते हुए ठाकरे ने कहा कि वह उन्हें विपक्षी नेता के रूप में नहीं देखते हैं। ठाकरे ने अपने बधाई संदेश में कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि कि मैं वापस लौटूंगा, लेकिन मैं इस सदन में आया। विधानसभा में उद्धव ने कहा कि शिवसेना और हिंदुत्व को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मैं अब भी हिंदुत्व की विचारधारा के साथ हूं और इससे कभी नहीं हटूंगा।