Aaj Samaj (आज समाज), 3DC Farming, करनाल, 2 मार्च, इशिका ठाकुर
- जलवायु परिवर्तन कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा:-डॉ. एनके त्यागी,पूर्व निदेशक एवम कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड सदस्य
- देश के वैज्ञानिक अब 3 डी सी विषय पर करेंगे शोध:- डॉ.एनके त्यागी
देश के वैज्ञानिक करेंगे 3dc फार्मिंग पर शोध, समुद्र की गहराई में होगी खेती, भविष्य में 3dc फार्मिंग होगा आय का बड़ा क्षेत्र, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में आएगी कमी करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस पर पहुंचे कृषि वैज्ञानिक।
कृषि के क्षेत्र में हमारे देश के वैज्ञानिक लगातार नए-नए आयाम स्थापित कर रहे हैं और हमारे देश में खेती को मुनाफा का सौदा बना रहे हैं। नए भारत में नई तकनीक के साथ खेती मैं भी नई-नई तकनीक का प्रयोग करके उसको और भी ज्यादा बेहतर बनाया जा रहा है ताकि देश के किसान समृद्ध हो सके। देश के वैज्ञानिक अब 3डी सी फार्मिंग विषय पर शोध करेंगे। केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान परिषद के 56वें स्थापना दिवस पर पहुंचे।
संस्थान के पूर्व निदेशक एवं कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड नई दिल्ली के पूर्व सदस्य डॉ. एनके त्यागी ने वैज्ञानिकों को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे में हमें ऐसी खेती की ओर जाना होगा, जिनमें ऊर्जा कम लगे, ग्रीन हाउसेस गैसों का उत्सर्जन कम हो। प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करके हमें उनका जरूरत के हिसाब से उपयोग करना होगा।
डॉ. एनके त्यागी ने कहा कि भारत कृषि आधारित देश है। जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर कृषि सेक्टर पर देखा जा सकता है, इसलिए भारत अधिक चिंतित है। उन्होंने कहा कि कार्बनडाई ऑक्साइड गैस की बाउंड्री 350 होनी चाहिए, लेकिन आज के समय में 417.06 पीपीपी है। नाइट्रोजन 35.0 पीपीपी के दायरे से निकलकर 121 पीपीपी तक पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि लैंड गैप के साथ-साथ फूड गैप की स्थिति बनती नजर आ रही है। ऐसे में हमें ऐसी खेती पर जाना होगा, जिसमें ऊर्जा कम लगे। जैसे डीजल से सिंचाई करने पर गैसें अधिक उत्सर्जित होती हैं। तापमान बढ़ेगा तो सिंचाई अधिक करनी होगी, पानी भी अधिक लगेगा। ऐसे में हमें प्रकृति के अनुकूल खेती करनी होगी। भोजन खराह न हो, पैदावार बढ़े, ग्रीन हाउस गैसें कम उत्सर्जित हों, लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी में सुधार तेजी के साथ किया जाए।
डॉ. एनके त्यागी ने वैज्ञानिकों को एक नई एग्रो तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने 3डी सी फार्मिंग को नए शोध विषय के रूप में वैज्ञानिकों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि ये फार्मिंग समुद्र तटीय क्षेत्रों में एक बेहतर और बड़ा विकल्प हो सकती है।
डॉ. एनके त्यागी ने बताया कि इसके लिए समुद्र में एक गहराई तक ढांचा तैयार किया जाता है। जिसमें अलग-अलग गहराई में अलग-अलग तापमान होता है, जिसमें अलग-अलग तरह के जीव जीवित रहते हैं, उन्हें उन्हीं की गहराई मेंं रहकर पालना होगा, उससे बेहतर आय हो सकती है। इसमें मछलियों के साथ-साथ अन्य समुद्री जीवों का पालन हो सकता है। इसकी तकनीक विकसित हो गई है, कोरिया, नीदरलैंड आदि कई देशों में इस पर कार्य शुरू हो चुका है, भारत में भी केंद्रीय मछली अनुसंधान संस्थान कोचीन के क्षेत्रीय केंद्र मंडपम (तमिलनाडु) में इस पर शोध शुरू कर दिया है। भविष्य में 3 डी सी फार्मिंग आय का बड़ा क्षेत्र हो सकता है।