14 फ्लोर वाले विक्रांत पर 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर होंगे तैनात

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vikrant
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आज समाज डिजिटल

नई दिल्ली। देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत का समुद्री ट्रायल शुरू हो गया। 14 फ्लोर वाले विक्रांत पर 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकेंगे। ट्रायल सफल रहा तो इसे अगले साल अगस्त में नौसेना में शामिल किया जाएगा। जुलाई में इसके तटीय परीक्षण सफल रहे थे।
यह देश में निर्मित सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत है। आईएसी पी 71 विक्रांत की लागत करीब 23 हजार करोड़ रुपए है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। इसे तैयार करने में 50 से ज्यादा भारतीय कंपनियों की अहम भूमिका रही है। इसके निर्माण के दौरान 40 हजार से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला।
जानिए क्या है विक्रांत की खूबियां
विक्रांत का वजन 40,000 टन है। युद्धपोत पर मिग-29 के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलिकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात होगा। हिंद महासागर में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर यह देश के रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी स्पीड 52 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसमें 14 फ्लोर हैं।
इस पर 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं। 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। इसे बनाने में 50 से ज्यादा भारतीय कंपनियों को काम मिला। करीब 40 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला। महिला नौसैनिकों के लिए इसमें खास व्यवस्था की गई है। इसमें महिला नौसैनिकों को भी तैनात किया जा सकता है। यह एक बार में 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है।
आईएनएस विक्रांत के नाम पर किया नामकरण
1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आईएनएस विक्रांत के नाम पर ही इसका नामकरण हुआ है। आईएनएस विक्रांत अब रिटायर हो चुका है। नए स्वदेशी युद्धपोत का नाम ‘आईएसी पी71 ‘विक्रांत’ रखा गया है। भारत के पास अभी सिर्फ एक विमानवाहक जहाज आईएनएस विक्रमादित्य है। इसके आने के बाद भारत की समुद्री ताकत और बढ़ेगी।
चीन की चुनौतियों से निपटने में होगी आसानी
मालूम हो कि देश में अभी एक ही विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है। भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती चुनौतियों से निपटने पर जोर दे रही है। नौसेना हिंद महासागर में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों को देखते हुए अपनी संपूर्ण क्षमता को बढ़ाने पर जोर दे रही है। सामरिक और रणनीतिक लिहाज से हिंद महासागर बहुत महत्वपूर्ण है। इस युद्धपोत के भारतीय सेना में शामिल होने से दुश्?मन देशों पर एक बड़ा दबाव बन सकेगा।