प्रवीण वालिया, करनाल:
291 Anganwadi centers Will Become Play schools: डीसी अनीश यादव ने बताया कि हरियाणा पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। इस दिशा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के तहत 4000 चयनित आंगनबाडियों को प्ले वे स्कूलों में बदला गया है और शेष 21962 आंगनबाडियों में भी प्री-स्कूल शिक्षा का प्रावधान किया गया है।
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कर्णनगरी में 1479 आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi centers)
करनाल जिला में 1479 आंगनबाड़ी सेंंटर है और सभी की ट्रेनिंग कम्पलीट हो चुकी है तथा इनमें से 291 सेंंटर प्ले स्कूल बनने के लिए चयनित किए गए हैं। उपायुक्त ने बताया कि सतत विकास लक्ष्य 4.2 (वर्ष 2030 तक यह सुनिश्चित करना कि सभी लड़कियों और लड़कों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल विकास और प्राथमिक पूर्व शिक्षा सुलभ हो ताकि वे प्रारम्भिक शिक्षा के लिए तैयार हो सके) को देश ने पूर्ण करने के लिए प्रतिबधता दिखाई है, जिसके परिणामस्वरुप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर बल दिया गया है।
औपचारिक तरीके से शुरू होगी प्री-स्कूल शिक्षा ( Play schools)
उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 में स्टेट रिसोर्स ग्रुप के प्रशिक्षण के अतिरिक्त सभी बाल विकास अधिकारियों, पर्वेक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का प्रशिक्षण पूर्ण हो चुका है और सभी ने बच्चों के साथ अपनी अभ्यास कक्षाओं को भी पूर्ण किया है। इस वर्ष की शुरुआत में ही कोरोना काल में आए अंतराल के बाद सभी का पुन: ओरिएंटेशन पूर्ण किया गया है। महिला और बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से सभी प्री-स्कूलों व आंगनबाड़ियों में प्री-स्कूल शिक्षा को औपचारिक तरीके से शुरू किया जा रहा है।
स्कूल रेडीनेस मेले का आयोजन होगा (291 Anganwadi centers Will Become Play schools)
इससे पहले इसके प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न माध्यमों से एनरोलमेंट ड्राइव चलाई जा रही है। 31 मार्च 2022 को सभी प्ले स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्कूल रेडीनेस मेले का आयोजन किया जाएगा। विभाग इसे सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा और तकनिकी के माध्यम से इसकी मोनिटरिंग की जाएगी। इन मेलों में अभिभावकों के साथ आये 3-6 वर्ष के बच्चों का खेल-खेल में सरल तरीके से आंकलन किया जाएगा और बच्चों के रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। इसका मूल उद्देश्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के प्रति अभिभावकों और समुदाय को जागरूक करना है ताकि समाज के सभी वर्गों के बच्चों को निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।
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