भारतीय इक्विटी बाजारों में वित्त वर्ष (एफवाई) 2020-21 के दौरान 2,74,034 करोड़ रुपये का विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) हुआ। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति विदेशी निवेशकों के दृढ़ विश्वास को दर्शाता है।
वित्त वर्ष 2020-21
इक्विटी में शुद्ध निवेश (करोड़ रुपये में)
वित्त वर्ष 2020-21 | इक्विटी में शुद्ध निवेश (करोड़ रुपये में) |
अप्रैल | -6884 |
मई | 14569 |
जून | 21832 |
जुलाई | 7563 |
अगस्त | 47080 |
सितंबर | -7783 |
अक्टूबर | 19541 |
नवंबर | 60358 |
दिसंबर | 62016 |
जनवरी | 19473 |
फरवरी | 25787 |
मार्च | 10952 |
वित्तीय वर्ष 20-21 के लिए कुल | 274034 |
1 अप्रैल 2021 तक; स्रोत: एनएसडीएल
आकर्षक रूप से डिजाइन किए गए प्रोत्साहन पैकेजों के कई चरणों औैर उम्मीद से भी तेजी गति से आर्थिक सुधार ने एफपीआई प्रवाह को तेज रफ्तार से बढ़ाने का काम किया है। सरकार और नियामकों ने हाल के दिनों में एफपीआई के जरिये निवेश बढ़ाने के लिए कई प्रमुख नीतिगत बदलाव किए हैं। इनमें एफपीआई रेग्युलेटरी रीजीम का सरलीकरण और युक्तिकरण, ऑनलाइन कॉमन एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) का संचालन, सेबी के साथ पंजीकरण, पैन का आवंटन और बैंक और डीमैट खाते खोलना आदि शामिल हैं। भारतीय कंपनियों में एफपीआई निवेश सीमा में 24% तक सेक्टरल कैप की बढ़ोतरी प्रमुख इक्विटी सूचकांकों में भारतीय प्रतिभूतियों के भार में वृद्धि के लिए एक उत्प्रेरक रही है, इस प्रकार भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर इक्विटी प्रवाह, एक्टिव और पैसिव माध्यम के जरिये आया है।
वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर का पूर्वानुमान विश्व बैंक, आईएमएफ और कई वैश्विक अनुसंधान संगठनों द्वारा 10% से अधिक आंका गया है, जो यह बताता है कि भारत निकट भविष्य में एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहेगा।