सिंगल नाम पैनल में हुड्डा समेत 12 विधायक
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: कांग्रेस पार्टी ने टिकट दावेदारों की मारामारी के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 90 सीटों में से 18 पर अपनी टिकटें फाइनल कर ली हैं। इनमें 9 सिटिंग विधायक हैं। पार्टी ने जिन 14 सीटों पर सिंगल नाम का पैनल बनाया है, उनमें से 13 पर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया गया है। इन्होंने 2019 का चुनाव भी लड़ा था। एक सीट पर नए चेहरे का नाम रखा गया है। कांग्रेस के सिंगल नाम वाले हलकों में रोहतक की गढ़ी-सांपला-किलोई सीट भी है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के सत्ता में आने की सूरत में वह उट पद के सबसे बड़े दावेदार रहेंगे। कांग्रेस में इस सीट से किसी और ने आवेदन भी नहीं किया था।
इन 12 विधायकों के टिकट पक्के
कांग्रेस ने जिन 17 सीटों पर सिंगल नाम के पैनल बनाए हैं, उनमें से 12 पर इस समय पार्टी के ही विधायक हैं। इनमें गढ़ी-सांपला-किलोई से भूपेंद्र हुड्डा, रोहतक सीट से बीबी बत्रा, झज्जर से गीता भुक्कल, बेरी से रघुबीर कादियान, रेवाड़ी से लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव, नूंह से आफताब अहमद, पुन्हाना से मोहम्मद इलियास, महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह और बरौदा से इंदुराज भालू का नाम पैनल में रखा गया है। अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट से मौजूदा विधायक शैली चौधरी और फरीदाबाद एनआईटी के मौजूदा एमएलए नीरज शर्मा का टिकट भी लगभग फाइनल है। इसके अलावा बादली से कुलदीप वत्स की भी टिकट तय मानी जा रही है। कुलदीप वत्स हुड्डा के करीबी हैं। हालांकि उनके सामने दावेदारी ठोकने वाले सोमबीर घसोला भी प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं।
मुलाना सीट पर क्या वरुण की चलेगी, पंचकूला से चंद्रमोहन लगभग तय
अंबाला जिले की मुलाना सीट के पूर्व विधायक और अब सांसद वरुण चौधरी ने भी यहां के उम्मीदवार पर नजर रखी हुई है। यहां वरुण चौधरी की पत्नी पूजा चौधरी या फिर उनकी बहन को टिकट मिलने की भी संभावना है। हालांकि उनके परिवार से किसी ने टिकट के लिए अप्लाई नहीं किया है। यहां वरूण की चलेगी या नहीं, इसको लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसी तरह पंचकूला विधानसभा सीट पर पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई का टिकट भी तकरीबन-तकरीबन फाइनल है।
पिछला चुनाव हार चुके चार चेहरों के टिकट भी पक्के
कांग्रेस 2019 का विधानसभा चुनाव हार चुके अपने 4 नेताओं को भी इस बार फिर टिकट देने जा रही है। इनमें थानेसर सीट से अशोक अरोड़ा, पलवल से करण सिंह दलाल, फरीदाबाद से लखन सिंगला और बड़खल से चौधरी विजय प्रताप सिंह के नाम शामिल हैं। 2019 में अशोक अरोड़ा भाजपा के सुभाष सुधा से महज 819 वोट से हार गए थे। अशोक अरोड़ा 2014 में भी थानेसर सीट पर सुभाष सुधा से हार गए थे। हालांकि तब वह इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर मैदान में उतरे थे। अशोक अरोड़ा इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और 2019 के चुनाव से पहले ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह थानेसर से ही 2009, 2000 और 1996 में विधायक रह चुके हैं।बड़खल सीट पर चौधरी विजय प्रताप भाजपा की सीमा त्रिखा के सामने 2545 वोट से मात खा गए थे। करण सिंह दलाल को भाजपा के दीपक मंगला और लखन सिंगला को भाजपा के ही नरेंद्र गुप्ता ने हराया था। करण सिंह दलाल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में वह फरीदाबाद सीट से पार्टी टिकट के दावेदार थे लेकिन कांग्रेस ने महेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतार दिया था। करण सिंह दलाल वर्ष 1991, 1996, 2000, 2005 और 2014 में पलवल से ही विधायक रह चुके हैं। बड़खल से चौधरी विजय प्रताप सिंह का नाम सिंगल पैनल में है। वह पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे हैं जो हाल में हुए लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद संसदीय सीट पर भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर से हार गए थे। 2019 में कांग्रेस ने महेंद्र प्रताप सिंह की जगह उनके बेटे विजय प्रताप सिंह को टिकट दिया था लेकिन वह लगभग ढाई हजार वोटों से भाजपा की सीमा त्रिखा से हार गए।