इशिका ठाकुर,करनाल:
करनाल की हवा अब जहरीली होने लगी है। हवा में धुआं और धूल के कणों से शाम को धुएं का स्मॉग बनने लगा है। इस बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण पंजाब व हरियाणा में जलाए जा रहे धान के अवशेष यानी पराली को मना जा रहा है। कल रविवार को फसल अवशेष जलाने के 17 मामले सामने आए, जबकि जिले में अब तक 51 मामले समानें आ चुके है। अभी तक फसल अवशेष जलाने वालों से कुल 65 हजार 500 रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है। 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है।
करनाल में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा
करनाल में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही साथ हवाएं भी जहरीली हो गई हैं। इस वजह से लोगों की आंखों में जलन और सांसों में घुटन महसूस होने लगी है। रविवार शाम को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जिससे लोगों को इन परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह हाल खाली करनाल का नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस समय प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है।
कुल 65 हजार 500 रुपए जुर्माना वसूला
करनाल में फसल अवशेष जलाने के रविवार को 17 नए मामले सामने आए हैं। अभी तक फसल अवशेष जलाने वालों से कुल 65 हजार 500 रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है। 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। शनिवार और रविवार को फसल अवशेष जलाने के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है। जिले में अब तक 51 मामले आगजीन के सामने आए है। जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है।
किसानों को सरकार देगी 1 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से
पराली न जलाने वाले किसान को सरकार दे रही 1 हजार रुपए कृषि विभाग के उपनिदेशक आदित्य डबास ने बताया कि अगर कोई किसान पराली नहीं जलाएगा सरकार उस किसान को प्रति एकड़ के हिसाब से 1 हजार रुपए देगें। अगर कोई किसान पराली जलाता है उससे अढ़ाई हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जर्मुना लगाया जाएग। अगर किसान जुर्माना नहीं भरता तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई। अब किसान को देखना है वह पराली न जला कर 1 हजार रुपए लेता है या फिर जला कर अढाई हजार रुपए देता है। पराली जलाने में निसिंग अंसध व निलोखेड़ी में सबसे ज्यादा आगजनी के मामले सामने आ रहे है। हमने 32 हजार एकड़े के लिए डिकम्बोंज सहित बहुत सारे उपकरण किसानों को उपलब्द करवा गए है। किसान उनका प्रयोग करके पराली जलाने से बच सकता है।
प्रदूषण बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण पराली जलाना
डबास ने बताया कि इस समय प्रदूषण बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण पराली जलाना है। इसके साथ ही हवा में नमी रहने से धुआं व धूल के कण ऊंचाई पर जाने के बजाए निचले लेवल पर ही तैरते रहते हैं। फसल कटाई से उठने वाले धूल के कण भी हवा में फैल गए हैं। यह समय ही ऐसा है। एक तो मौसम बदलाव करता है दूसरा जीरी कटाई और पराली जलाने के मामले होते हैं। फिलहाल करनाल का प्रदूषण स्तर अन्य जिलों से कम है इसे हम जल्द ही कंट्रोल कर लेगें।
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