15th BRICS Summit Updates: मोदी-जिनपिंग के बीच मुलाकात, लद्दाख में सैन्य तैनाती कम करने पर बनी सहमति

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15th BRICS Summit Updates
एक-दूसरे से हाथ मिलते पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग।

Aaj Samaj (आज समाज), 15th BRICS Summit Updates, जोहान्सबर्ग: दक्षिण अफ्रीका जोहान्सबर्ग में आयोजित 15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन संपन्न हो गया और सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और कुछ सेकेंड बातचीत की। इसके बाद में भारतीय विदेश सचिव विनय क्वॉत्रा ने बताया कि मोदी और जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए हैं कि लद्दाख में सैन्य तैनाती कम की जाएगी और तनाव कम किया जाएगा। उन्होंने कहा, इस बारे में बातचीत करने वाले दोनों देशों के अफसरों से इस प्रोसेस को तेज करने को कहा जाएगा।

सीमा पर शांति जरूरी : मोदी

विनय क्वॉत्रा के अनुसार जिनपिंग से बातचीत में पीएम मोदी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अनसुलझे मुद्दे को उठाया। मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति जरूरी है ताकि दोनों देशों के संबंध सामान्य रहें। इससे पहले नवंबर 2022 में पीएम मोदी और जिनपिंग ने इंडोनेशिया में हुई जी20 समिट में सीमा विवाद पर बात की थी, जिसकी जानकारी इस साल दी गई।

ब्रिक्स में 6 नए स्थायी सदस्य शामिल

दूसरी तरफ ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने ब्रिक्स से जुड़ने की इच्छा रखने वाले बाकी देशों को भी भारत की ओर से अपनी सहमति देने का आश्वासन दिया है। दरअसल भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, चीन और रूस की सदस्यता वाले ब्रिक्स में अब अर्जेंटीना और सऊदी अरब समेत छह देशों को नए स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस कदम का समर्थन करता है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने ब्रिक्स के नए सदस्य देशों का ऐलान किया है।

ब्रिक्स में अन्य देशों को शामिल करने के लिए हम सहमत : प्रधानमंत्री

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आज हम अर्जेंटीना, मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, इथियोपिया और यूएई का ब्रिक्स में स्वागत करने के लिए सहमत हुए हैं। जिन अन्य देशों ने भी ब्रिक्स से जुड़ने की इच्छा जताई है, भारत उन्हें भी पार्टनर देशों के तौर पर जुड़ने के लिए अपनी सहमति देगा। ब्रिक्स का आधुनिकीकरण और विस्तार इस बात का संदेश है कि विश्व के सभी संस्थानों को बदलते समय की परिस्थितियों के अनुरूप ढलना चाहिए। यह ऐसी पहल है जो 20वीं सदी में स्थापित अन्य ग्लोबल संस्थानों के लिए एक मिसाल बन सकती है।

भारत ने रूस के साथ मिलकर चीन की मंशा पर पानी फेरा

पहले ब्रिक्स के विस्तार पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था। बताया जा रहा है कि भौगोलिक फैक्टर को नए सदस्यों के चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। इसके जरिए यह कोशिश की गई है कि ब्रिक्स के अंदर क्षेत्रीय संतुलन बना रहे है। चीन ब्रिक्स में अपने समर्थक देशों को शामिल कराना चाहता था ताकि इस संगठन को जी-7 के खिलाफ खड़ा किया जा सके। हालांकि भारत ने रूस के साथ मिलकर उसकी मंशा पर पानी फेर दिया।

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