-कोरोना के दौरान बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर लगातार जारी हुई थी गाइडलाइंस
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है, जिसके चलते सबको राहत मिली है। एक्सपर्ट्स तीसरी लहर की भी संभावना जता रहे हैं, जिसको लेकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग तैयारी में निरंतर लगे हुए हैं। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या सामान्य से कहीं ज्यादा थी। इसके चलते स्वास्थ्य संस्थानों में बायोमेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन भी बेहद जरूरी था। इसको लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने समय-समय पर गाइडलाइंस भी जारी की। इसी कड़ी में सामने आया कि हरियाणा के अस्पतालों में कोरोना की पहली लहर के दौरान 6 महीने की अवधि के दौरान हर रोज करीब 6733 किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ। इसका खुलासा गत दिनों हुआ, इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सबमिट की गई है जिसमें ये जानकारी सामने आई है।
एनजीटी को सबमिट की गई जानकारी में सामने आया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल-2020 से लेकर सितंबर, 2020 तक 6 महीने में कुल 1232.77 टन मेडिकल वेस्ट प्रदेश के अस्पतालों में जेनरेट हुआ। इस लिहाज से हर महीने 200 टन से ज्यादा मेडिकल वेस्ट रहा। अप्रैल माह में 65.94 टन तो मई में 109.91 टन और जून में 247 टन जेनरेट हुआ। जुलाई में 290.32, अगस्त में 241.3 टन और सितंबर में 278.3 टन मेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ। इस अवधि में अगर औसतन रोज पैदा हुआ वेस्ट की बात करें तो ये 40403 किलोग्राम रहा है।
वहीं ये भी सामने आया है कि कोरोना के दस्तक देने के बाद सीपीसीबी द्वारा मेडिकल वेस्ट के सही निपटान को लेकर बार बार गाइड लाइन भी जारी की गई। बीमारी के आने के बाद सबसे पहले 18 मार्च-2020 को इस बारे निर्देश जारी किए गए तो इसके बाद 25 मार्च-2020, 18 अप्रैल-2020, 10 जून-2020 और 21 जुलाई-2020 को इन निर्देश को फिर से रिवाइज किया गया। इस बारे में कई विभागों को आगाह करते हुए आदेश दिए गए कि मेडिकल वेस्ट की हैंडलिंग सही तरीके से हो। स्वास्थ्य, शहरी निकाय, पंचायत व विकास विभाग को ये आदेश दिए गए थे। इसके अलावा सभी जिलों के डीसी को भी इस बारे में स्पष्ट किया गया था कि वो भी अपनी भूमिका सही तरीके से निभाएं। पूरे मामले में नगर निगम की भी अहम भूमिका होती है। ग्राम पंचायतों भी इस बारे निर्देश जारी किए हुए हैं कि उनके दायरे में आने वाली हेल्थ केयर फैसिलिटी की लिस्ट बनाएं और इसको वो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सीएचसी और सीएमओ को भेजें। इसको लेकर भी संबंधित अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
प्रदेश में 11 जगह कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट फैसिलिटी
बताना अहम है कि प्रदेश में अलग-अलग 11 जगह ऐसी हैं, जहां बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी हैं। कोरोना के दौरान इन जगह पर प्रदेश के सभी अस्पतालों से बायोमेडिकल वेस्ट जाता है, जहां इसको ट्रीट किया गया है। गाइडलाइन के मुताबिक किसी एक जगह से दूसरी जगह स्थित बायोमेडिकल वेस्ट फेसिलिटी के बीच में एक निर्धारित दूरी होना जरूरी है। इसको लेकर नियम बनाए गए हैं। ये भी बता दें कि प्रदेश की बायोमेडिकल वेस्ट निपटान की कुल क्षमता हर रोज एक घंटे में 1620 किलोग्राम है। इसके निपटान व ट्रीटमेंट का काम अलग-अलग एजेंसी को जिलेवार दिया गया है।
बायोमेडिकल वेस्ट का सही निपटान न होने से बीमारी का खतरा
अगर बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निपटान न हो तो बीमारी और संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। अस्पतालों में जो भी मेडिकल वेस्ट होता है, उसको सेग्रिगेट किया जाता है। इसके बाद इनको संबंधित प्लांट में ट्रीटमेंट व निपटान के लिए भेजा जाता है। अगर इनको उठाने वाले संबंधित कर्मचारी सेफ्टी न बरतें तो उससे भी संक्रमण फैल सकता है। ये भी बता दें कि इस काम से जुड़े सफाई कर्मचारियों को इंफेक्शन से बचाव को लेकर इंजेक्शन भी लगते हैं।
मेडिकल वेस्ट के निपटान को लेकर ट्रेनिंग भी दी
बता दें कि बायो मेडिकल वेस्ट के निपटान से जुड़े वर्कर्स के लिए बाकायदा ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाए गए। उपरोक्त अवधि के दौरान 950 ट्रेनिंग व जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया। उनको इसके उठान व अन्य प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई। इस बारे में प्रदेश सरकार द्वारा हरेक माध्यम, जिसमें पोस्टर, पब्लिक नोटिस व मीडिया शामिल है, के जरिए सबको जागरूक किया गया।
2019 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 14810 किलो वेस्ट हर रोज जेनरेट हुआ।
साल-2019 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 5529 हेल्थ केयर फेसिलिटी हैं, जिनमें से 2837 बेड वाली तो 2689 बिना बेड वाली हैं। इन सबमें कुल बेड की संख्या 54773 है। इसमें सभी तरह के स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हर रोज औसतन 14810 किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ।
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