कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यसी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पूर्व पार्टी के अंदर नेतृत्व को लेकर घमासान शुरू हो गया है। एक तरफ कुछ सांसदों और पूर्व मंत्रियों के समूह ने सामूहिक नेतृत्व की मांग की है, वहीं एक दूसरे खेमे ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की पुरजोर वकालत की है। सीडब्ल्यूसी की बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। बैठक में असंतुष्ट नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा और बहस होने की संभावना है।
कुछ पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संगठन में बड़े बदलाव की मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है। इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। वैसे, केंद्रीय संसदीय बोर्ड 1970 के दशक तक कांग्रेस में था लेकिन उसे बाद में खत्म कर दिया गया। इस पत्र में सामूहिक रूप से निर्णय लेने पर बल दिया गया है और उस प्रक्रिया में गांधी परिवार को ‘अभिन्न हिस्सा’ बनाने की दरख्वास्त की गई है।
इन नेताओं ने पूर्णकालिक नेतृत्व की नियुक्ति की भी मांग की है, जो सक्रिय हो और जिससे कार्यकर्ता और नेता आसानी से संपर्क कर सकें। समझा जाता है कि सुधार के पक्षधर नेताओं ने पार्टी संगठन में प्रखंड स्तर से लेकर कार्यसमिति के स्तर तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की भी मांग रखी है।
इन नेताओं ने की बदलाव की मांग
जिन नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित शामिल हैं। इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं। इनमें से ज्यादातर ने रविवार को पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए। कुछ ने फोन कॉल का जवाब तो दिया, लेकिन इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोले। इन घटनाक्रमों के मद्देनजर सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए गांधी बनाम गांधी के मुद्दे पर चर्चा होना लगभग तय है।
राहुल के समर्थन में खेमा
कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व की दलीलें पेश करने वाले वर्ग का विरोध भी शुरू हो गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सांसद मणिकम टैगोर ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की मांग की है। तेलंगाना के पूर्व सांसद और पार्टी के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी सचिव चल्ला वामसी चंद रेड्डी ने भी राहुल गांधी को ‘अब और बिना किसी देरी के कांग्रेस अध्यक्ष बनाने जाने की मांग की है। रविवार को सीडब्ल्यूसी को भेजे पत्र में रेड्डी ने कहा कि राहुल की पार्टी प्रमुख के रूप में बहाली में देरी की कीमत पार्टी को चुकानी होगी।
राहुल को अध्यक्ष बनाने की CWC में उठ सकती है मांग
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के कई सदस्य सोमवार को होने वाली बैठक में राहुल गांधी को एक बार फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग रखने की तैयारी में हैं। साथ ही, कुछ नेताओं को यह उम्मीद है कि पार्टी की कमान संभालने के लिए राहुल गांधी के तैयार नहीं होने की स्थिति में भी नेतृत्व एवं संगठन को लेकर आगे की दिशा तय करने के लिए सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के बीच किसी न किसी रोडमैप पर सहमति बन जाएगी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोमवार सुबह वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से होने जा रही सीडब्ल्यूसी की बैठक में वरिष्ठ नेताओं के पत्र एवं इसमें दिए गए सुझावों का मुद्दा हावी रहने की प्रबल संभावना है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और सीडब्ल्यूसी के सदस्य ने कहा, ”यह लगभग तय है कि कल की बैठक नेतृत्व और संगठन पर ही मुख्य रूप से केंद्रित रहने वाली है। मैं अपनी ओर से राहुल गांधी का नाम अध्यक्ष के लिए रखूंगा क्योंकि यही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना है।
राहुल को पूर्ण समर्थन: खुर्शीद
पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा कि पार्टी को चुनावों की जगह सर्वसम्मति को एक मौका देना चाहिए। खुर्शीद ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का ‘पूर्ण समर्थन’ और ‘भरोसा’ हासिल है और इससे फर्क नहीं पड़ता कि उनपर अध्यक्ष का ठप्पा है या नहीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि गांधी कांग्रेस के नेता हैं। कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, यहां तक कि विपक्ष भी इससे इनकार नहीं कर सकता। मैं एक नेता के होने से बहुत खुश हूं, मैं इस बात की चिंता नहीं करता कि हमारे पास अध्यक्ष है या नहीं, हमारे पास एक नेता (राहुल गांधी के रूप में) हैं और यह बात मुझे सुकून देती है।
बदलाव की मांग हानिकारक: अमरिंदर
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने वाले पार्टी के कुछ नेताओं के कदमों का विरोध करते हुए कहा है कि इस तरह का मुद्दा उठाने का यह समय नहीं है। सिंह ने एक बयान में कहा कि देश के संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बर्बाद कर रहे भाजपा नीत राजग के खिलाफ आज मजबूत विपक्ष की जरूरत है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मजबूत और एकजुट विपक्ष के नहीं रहने के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सफलता मिली। सिंह ने कहा, इस महत्वपूर्ण समय में पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले कांग्रेस के इन नेताओं का कदम पार्टी के हितों और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक होगा।