केरियर का दबाव से मुक्‍त रहे बचपन

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समय बदलने के साथ ही अंदाज भी बदलता जा रहा है। ऐसे में बचपन कहीं खो सा गया है। पहले के समय में बच्चा करीब 22-23 साल की उम्र में अपने करियर को गंभीरता से लेता था। इसके विपरित आज के समय में बच्चा बचपन से ही इस बारे में सोचने लगता है। यह कोई मानसिक बदलाव नहीं है बल्कि माता-पिता का दबाब है। अक्सर माता-पिता छोटी सी उम्र में ही अपने बच्चों से उम्मीदें करने लगते हैं। जिसके चलते बच्चा दबाव के चलते इतना परेशान हो जाता है कि वह अपनी राह से डगमगाने लगता है। साथ ही ऐसी स्थिति में अगर बच्चा अपने परिजनों की उम्मीद पर खरा उतर गया तब तो ठीक, नहीं तो परिजन सफल बच्चों का उदाहरण देकर अपने बच्चों को उनकी प्राकृतिक क्षमता से भी कमजोर बना देते हैं।

तेज दिमाग के लिए चाहिये पोषक आहार
आजकल के प्रतिस्पर्धा भरे वातावरण में लोग इतने अंधे हो गए हैं कि अपने बच्चों के खानपान पर ध्यान देने के बजाय उन्हें मानसिक तौर पर परेशान करते जबकि हकीकत यह है कि जब तक बच्चों के आहार में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व शामिल नहीं होगा तब तक बच्चें एक स्वस्थ शरीर नहीं पा सकते हैं। बच्चों के खानपान का स्तर ही उनकी मानसिक क्षमता को तय करता है। इससे उनका दिमागी विकास भी होता है और वे पढ़ाई में भी बेहतर होते हैं।

फास्ट फूड से रखें दूर
आजकल बच्चे फास्ट फूड खाने के इतने आदि हो गए हैं कि उन्हें घर का बना खाना अच्छा नहीं लगता है। जो प्रत्यक्ष रूप से उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। शहरों में जितनी तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है उसमें फास्टफूड का सेवन बच्चों के विकास पर विराम लगा रहा है। इन कमियों के चलते आजकल बच्चें छोटी सी उम्र में ही शारीरिक रूप से अस्वस्थ और कई गंभीर बीमारियों से घिरने लगते हैं। जिसके चलते बच्चों में पेट फूलना, गैस, गंदी डकारे आना और पेट से जुड़ी अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है। इसलिए जरूरी है कि परिजन अपने बच्चों को दूध, हरी सब्जियां, मौसमी फल, दूध से बने उत्पाद और नट्स खाने को दें। इसके साथ बच्चों को नियमित रूप से योग और व्यायाम करने पर भी जोर देना चाहिए। ताकि बच्चों का सम्पूर्ण विकास हो सके।