‘आजकल टेलीविज़न और दूसरे संचार माध्यमों के ज़रिए बच्चे भी दुनिया भर की बहुत सारी जानकारियां हासिल करते हैं उनमें से कुछ बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। बच्चों के दिमाग में भरने के लिए दुनिया भर की बेकार जानकारी भी मौजूद है। इसलिए उनके लिए मानसिक पोषण, सही सोच-विचार, बुद्धि और अच्छे स्तरों की ज़रूरत है ताकि वे एक आदर्श ज़िंदगी जी सकें और ज़िंदगी को एक सही नज़रिए से देख सकें।” लेकिन बच्चों पर सही और सबसे बेहतरीन असर, माता-पिता से अधिक अच्छा कोई और नहीं डाल सकता है।
बच्चों को पढ़ने के लिए ऐसी किताबें देनी चाहिए जिनमें जटिल और बड़ी खूबसूरती से लिखे वाक्य पाए जाते हैं। ऐसा करना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि बच्चे इन किताबों के ज़रिए यह सीखते हैं कि कैसे, लिखकर या बातों से अपनी भावनाओं को ज़ाहिर करना है।
शिशुओं को किताबों की ज़रूरत पड़ती है इससे उन्हें सिखाने में मदद मिलती है। एक लेखिका के मुताबिक ‘एक व्यक्ति की सोच उसकी भाषा पर निर्भर करती है। जहाँ तक सीखने और बुद्धि बढ़ाने की बात आती है तो इसमें भाषा वाकई सबसे अहम कड़ी है।”
अच्छी बातचीत करने की योग्यता , मज़बूत रिश्तों की बुनियाद है। अच्छी किताबों को पढ़ने से अच्छे आदर्शों और गुणों को भी बढ़ावा मिलता है। जब माता-पिता अपने बच्चों को पढ़कर सुनाते हैं और दलीलें देकर उनको समझाते-बुझाते हैं तो वे उनमें समस्याओं का हल निकालने की काबिलीयत पैदा करते हैं।
“इस तरह माता-पिता होने के नाते हम उसकी शख्सियत की एक-एक बात को बड़ी बारीकी से जान पाए और इस छोटी उम्र से ही गलत सोच-विचार को उसके दिमाग से हटाने में मदद कर पाए।”