संजीव कुमार, रोहतक:
अपने आप में सक्षम होना, खुश रहना, जीवन का अर्थ है। सार्थक कर्म, सार्थक सोच, सार्थक व्यवहार और सार्थक उद्देश्य जीवन को सार्थक बनाते हैं। यह विचार डा. शुभा जौहरी ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के सेंटर फॉर प्रोफेशनल एंड एलाइड स्टडीज (सीपीएएस), गुरूग्राम में- सेल्फ एक्सीलेंस विषय पर आयोजित दो दिवसीय आॅनलाइन कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, हरियाणा तथा हार्ट फुलनैस एजुकेशन ट्रस्ट के सहयोग से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्य वक्ता डा. शुभा जौहरी ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा कि जीवन अद्भुत है, आज हमें जीवन के मूल्य को समझने की जरूरत है। उन्होंने जीवन में उद्देश्य की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में एक उद्देश्य बनारक चलना चाहिए। डा. जौहरी ने कहा कि प्रसन्नता की अभिव्यक्ति से आतंरिक आत्मका भी प्रसन्न होती है। अपने मन को आध्यात्मिक विचारों एवं क्रियाओं के द्वारा नियंत्रित करके हम अपने व्यक्तित्व में सुधार ला सकते हैं, ऐसा डा. जौहरी का कहना था।
कार्यशाला के प्रारंभ में सीपीएएस की निदेशिका प्रो. संतोष नांदल ने संबोधन करते हुए कहा कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। उन्होंने कोरोना काल में सामने आई सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक कठिनाईयों का जिक्र करते हुए विद्यार्थियों को खुद पर विश्वास रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि धैर्य, विश्वास और शांति से ही हर परिस्थिति से निपटा जा सकता है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, हरियाणा के राज्य समन्वयक प्रो. युद्धवीर सिंह ने इस कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और इस कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी। डा. जगन्नाथ ने हार्ट फुलनैस एजुकेशन ट्रस्ट की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। प्राध्यापक डा. अनुपम कुर्लवाल ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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